मध्यप्रदेश

I Bus Indore में हुआ डेढ़ करोड़ रुपये का घोटाला, 2 कर्मचारी बर्खास्त

 इंदौर
 अटल इंदौर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड (एआईसीटीएसएल) भी रोडवेज की राह पर चलती दिख रही है। बीआरटीएस के विशेष कॉरिडोर में चल रहीं आईबसों में टिकट घोटाला सामने आया है। करीब डेढ़ करोड़ रुपये हजम कर लिए गए।

घोटाले के लिए बदनाम नगर निगम के तैनात कर्मचारी यहां भी केंद्र में हैं। मामला सामने आने के बाद दो कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है। कुछ की जगह बदल कर इधर-उधर किया गया है। आशंका है कि घोटाले का आकार काफी बड़ा हो सकता है। अधिकारी अभी जांच जारी रहने की बात कह रहे हैं।

ये कर रहे थे घोटाला

आईबस के टिकट काउंटर पर तैनात कर्मचारियों से लेकर कंपनी में निगरानी के लिए तैनात सुपरवाइजर और अन्य अधिकारी टीम बनाकर घोटाले को अंजाम दे रहे थे। आईबस में जितने टिकट काटे जाते और जो कुल रुपया जमा होता, रिकॉर्ड में उसे कम दिखाया जाता था। इसके लिए आईबस के टिकटिंग सिस्टम को भी बदल दिया गया। करीब डेढ़ साल से यह फर्जीवाड़ा जारी था।

गोपनीय शिकायत मिली

इस बीच किसी ने गोपनीय शिकायत कर दी। नगर निगम के अपरआयुक्त और सिटी बस कंपनी के प्रभारी अधिकारी ने अपने स्तर पर जांच की। धांधली में शामिल एक कर्मचारी ने पूछताछ में कबूल भी कर लिया। इसके बाद खामोशी से नगर निगम ने दो कर्मचारियों की बर्खास्तगी का आदेश निकाल दिया। सिस्टम में शामिल कुछ लोगों की जगह बदल दी गई। न तो एफआइआर की गई न ही जांच का दायरा बढ़ाया गया।

ऐसे किया घोटाला

घोटाले को अंजाम देने के लिए आइबस स्टेशन पर टिकट खिड़की से घोटाले की शुरुआत हुई। ऑनलाइन सिस्टम को बंद कर हाथ में पकड़ी जाने वाली इलेक्ट्रानिक टिकट मशीन (ईटीएम) से टिकट काटे जाते थे।

संबंधित कर्मचारी मशीन का डाटा दर्ज करवाने शाम को एआईसीटीएसएल के दफ्तर जाते थे। वहां सुपरवाइजर और कंप्यूटर ऑपरेटर भी इनसे मिला होता था। ये लोग मिलकर टिकट की संख्या और रुपये को कम कर सिस्टम में दर्ज करते थे। इसके बाद उस मशीन का डाटा डिलीट कर दिया जाता था।

दो कर्मियों को किया बर्खास्त

घोटाले की प्रारंभिक पुष्टि होने के बाद कंपनी के सीईओ और नगर निगम अपर आयुक्त दिव्यांक सिंह ने अपने स्तर पर जांच को अंजाम दिया। इसके बाद सुपरवाइजर (ईटीएम) सुखदेव ग्रेवाल को बर्खास्त कर दिया गया है। एक अन्य आउटसोर्स कर्मचारी धर्मेंद्र राजावत को भी हटा दिया गया है।

इन लोगों पर निगरानी की जिम्मेदारी वाले तीन अन्य अधिकारियों चेतन कर्निक, जगजीतसिंह और अमित पाल की जगह बदली गई है। बताया जा रहा है कि घोटाले की जानकारी पूर्व के कुछ अधिकारियों को भी थी। अब यह भी जांच की जा रही है।

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