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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की यूनियन ने कश्मीर की आजादी पर एक कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की

नई दिल्ली
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की डिबेटिंग सोसाइटी ऑक्सफोर्ड यूनियन ने कश्मीर की आजादी पर एक कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की है। यह डिबेट कश्मीर के मौजूदा परिदृश्यों पर आधारित होगी। सोसायटी के मुताबिक पैनलिस्टों में जस्टिस फाउंडेशन और कश्मीर फ्रीडम मूवमेंट का नेतृत्व करने वाले डॉ. मुजम्मिल अय्यूब ठाकुर, जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के डिप्लोमैटिक ब्यूरो के अध्यक्ष प्रोफेसर जफर खान और पूर्व प्रधानमंत्री वी पी सिंह के मीडिया सलाहकार रह चुके प्रेम शंकर झा भी शामिल होंगे। इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में ऑक्सफोर्ड यूनियन ने बताया, "गुरुवार 14 नवंबर को हम 'यह सदन आजाद कश्मीर में विश्वास करता है' प्रस्ताव पर बहस की मेजबानी करेंगे। कश्मीर का मुद्दा ब्रिटिश शासन की देन है। 1947 से यहां के लोग भुगत रहे हैं। कश्मीर की आजादी के लिए लगातार संघर्ष जारी है। इससे कश्मीरियों के बीच अशांति फैली हुई है। परमाणु हथियारों से लैस भारत और पाकिस्तान इस पर नियंत्रण और भू-राजनीतिक प्रभाव के लिए होड़ करते हैं लेकिन कश्मीरियों को आजादी चाहिए। क्या एक स्वतंत्र कश्मीर इस स्थायी संकट का जवाब हो सकता है?"

ऑक्सफोर्ड यूनियन ने लिखा, "प्रस्ताव के लिए सबसे पहले डॉ. मुज़म्मिल अय्यूब ठाकुर बोलेंगे। डॉ. ठाकुर कश्मीरी स्वतंत्रता कार्यकर्ता हैं जो कश्मीर पर भारतीय के तथाकथित नियंत्रण का विरोध करते हैं और जस्टिस फाउंडेशन और कश्मीर की आजादी के आंदोलन का नेतृत्व करते हैं।" वहीं प्रस्ताव के लिए दूसरे वक्ता प्रोफेसर जफर खान होंगे। जफर खान जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के डिप्लोमैटिक ब्यूरो के अध्यक्ष हैं जो जम्मू और कश्मीर के लोगों के अधिकारों की वकालत करने पर केंद्रित एक संगठन है।" पोस्ट में कहा गया है कि "विपक्ष की ओर से प्रेम शंकर झा बोलेंगे जो भारत के प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार रह चुके हैं।

खबर सामने आने के बाद ब्रिटिश हिंदू का प्रतिनिधित्व करने वाले समूह इनसाइट यूके ने इस फैसले की कड़ी निंदा की है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर समूह ने लिखा, "हमने ऑक्सफोर्ड यूनियन को एक औपचारिक पत्र भेजा है जिसमें हमने बहस की मेजबानी करने के उनके निर्णय पर गहरी चिंता व्यक्त की है।" समूह ने आगे कहा, “आतंकवाद से कथित संबंध रखने वाले वक्ताओं को आमंत्रित करना चिंताजनक है और इस बहस की मंशा पर गंभीर सवाल उठाता है।" इनसाइट यूके ने कश्मीर में हिंसा और अशांति के इतिहास पर जोर दिया है और कहा है कि बहस से मौजूदा तनाव और बढ़ सकता है।

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