Political Party Donation: पंजीकृत 2301 गैर मान्यता प्राप्त दलों में से वर्तमान में राज्य विधानसभा और लोकसभा में करीब 30 दलों ने सीटें जीती हैं. लेकिन इन 30 दलों में से केवल 3 दलों ने ही वित्तीय वर्ष 2017-18 और वित्तीय वर्ष 2018-19 में मिले चंदे को सार्वजनिक किया है. इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों की तरह यह दल भी चंदे की राशि को पूरी तरह से सार्वजनिक करना नहीं चाहते हैं.
देश में बड़े राजनीतिक दलों के अलावा बड़ी संख्या में पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दल भी राज्य विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अपना दमखम दिखाते हैं. लेकिन यह दल कॉर्पोरेट/बिजनेस या व्यक्तिगत तौर पर मिलने वाले चंदे को चुनाव आयोग को दिखाना जरूरी नहीं समझते हैं. चुनाव आयोग की तरफ से 2301 पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दल है. लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 में इन्होंने मिलने वाले सालाना चंदे की रिपोर्ट चुनाव आयोग को उपलब्ध कराना जरूरी नहीं समझा है.
2301 पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों में से सिर्फ इन दो वित्तीय वर्षों में 2018-19 के लिए केवल 78 दलों और वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए 82 दलों ने ही अपना सालाना चंदा रिपोर्ट सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराया है.
जबकि 2301 दलों में से वर्तमान में राज्य विधानसभा और लोकसभा में करीब 30 दलों ने सीटें जीती हैं. लेकिन इन 30 दलों में से केवल 3 दलों ने ही वित्तीय वर्ष 2017-18 और वित्तीय वर्ष 2018-19 में मिले चंदे को सार्वजनिक किया है. इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों की तरह यह दल भी चंदे की राशि को पूरी तरह से सार्वजनिक करना नहीं चाहते हैं.
गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ( एडीआर) द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई है. इसमें गैर मान्यता प्राप्त दलों को मिलने वाले चंदे की रिपोर्ट का विश्लेषणात्मक विवरण जारी किया है.
बताते चलें कि 15 मार्च 2019 को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा नवीनतम राजपत्र अधिसूचना के मुताबिक आयोग के पास कुल 2360 राजनीतिक दल पंजीकृत थे. इनमें से 2301 या 97.50 फ़ीसदी पंजीकृत राजनीतिक दल अमान्य हैं.
इसके पीछे भी एक बड़ी वजह यह हो सकती है कि यह दल या तो नए पंजीकृत दल हैं या इन दलों ने राज्य विधानसभा या लोकसभा चुनाव में पर्याप्त प्रतिशत वोट हासिल नहीं किए हैं या इन दलों ने पंजीकृत होने के बाद कभी चुनाव नहीं लड़ा. इस तरह के दलों को चुनाव आयोग गैर मान्यता प्राप्त दल मानता है. गैर मान्यता प्राप्त दलों को सभी लाभ भी नहीं मिलते हैं जो मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों को मिलते हैं.
एडीआर की ओर से जारी की हाल की रिपोर्ट में दोनों वित्तीय वर्षों में 138 पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों के चंदा रिपोर्ट्स को जारी करते हुए यह भी बताया है कि हर साल 30 सितंबर को सालाना चंदा रिपोर्ट या उसकी डिटेल्स चुनाव आयोग या फिर राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय को उपलब्ध कराई जाती है जिसको एक तय समय सीमा के भीतर राज्य सीईओ की वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है. लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि देश में इतने बड़ी संख्या में पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दल है जो कि चंदा भी लेते हैं. लेकिन उसकी रिपोर्ट आयोग को देना जरूरी नहीं समझते हैं.
रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि जिन दलों ने वर्ष 2018-19 के दौरान चंदा हासिल किया है उनमें 6860 चंदों से इन दलों को ₹ 65.45 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2017-18 में 6138 चंदो से 24.60 करोड़ की राशि मिलने की घोषणा की है.
138 दलों के चंदा डिटेल पर तैयार की रिपोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक जिन 138 दलों के चंदा डिटेल का विश्लेषण यहां किया जा रहा है उसमें से 50 से अधिक दल तो ऐसे हैं जिन्होंने अपनी सालाना चंदा रिपोर्ट सार्वजनिक तौर पर दोनों वित्तीय वर्ष में से किसी एक वर्ष के लिए भी उपलब्ध नहीं कराई है. वहीं, आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश राज्य से ‘अपना देश पार्टी’ ने दोनों वित्तीय वर्षों में कुल मिलाकर सबसे अधिक 65.63 करोड (सभी दलों की कुल चंदे का 72.88 फ़ीसदी) का चंदा 4300 चंदो से प्राप्त किया है. 15 मार्च 2019 के अनुसार पंजीकृत 2301 गैर मान्यता प्राप्त दलों में से 653 दल अकेले उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से हैं जबकि दिल्ली (Delhi) से 291 दल और तमिलनाडु (Tamilnadu) से 184 दल हैं.
यूपी के इन दलों में से 2018-19 में सिर्फ 20 दलों और वर्ष 2017-18 के दौरान 11 दलों ने ही अपनी रिपोर्ट सीईओ की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई. ऐसा ही हाल कुछ दिल्ली के दलों को लेकर है. वर्ष 2017-18 में सिर्फ 18 पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों ने ही अपनी चंदा रिपोर्ट दिल्ली सीईओ की वेबसाइट पर उपलब्ध करवाई जबकि वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए एक भी दल ने अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है.
25 राज्यों व केंद्र शासित ने नहीं दी चंदे की कोई जानकारी
बात करें मध्य प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश आदि समेत 25 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के पंजीकृत गैर मान्यता दलों की तो इनमें से किसी ने भी राज्य के सीईओ की वेबसाइट पर वर्ष 2018-19 के लिए अपनी रिपोर्ट सबमिट नहीं कराई. वही वर्ष 2017-18 के लिए 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के दलों का चंदा रिपोर्ट भी वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं था. भारत के चुनाव आयोग (Election Commission of India) की ओर से जारी किए गए पारदर्शिता दिशा निर्देशों का यह दल घोर उल्लंघन कर रहे हैं. चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों के मुताबिक इन सभी दलों को अपना-अपना चंदा रिपोर्ट संबंधित वेबसाइट पर अपलोड करना अनिवार्य होता है.
कॉर्पोरेट/बिजनेस क्षेत्रों से खूब मिला चंदा
अब बात की जाए इन दलों ने किस-किस से चंदा हासिल किया है. वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के दौरान पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों ने 761 कॉर्पोरेट/व्यापारिक क्षेत्रों से 14.776 करोड की चंदा राशि हासिल की है. वहीं, 11997 व्यक्तिगत दानदाताओं से दलों ने 73.57 करोड़ की राशि हासिल की है. इसके अतिरिक्त भी कुछ दान राशि दलों ने प्राप्त की है.
चेक/डीडी और नगद से करोड़ों का मिला चंदा
वहीं, 11147 दानदाताओं ने चेक/ डीडी के माध्यम से 79.055 करोड़ दान दिया है. इसके अलावा 10462 दानदाताओं का दलों ने अपूर्ण चेक/ डीडी का विवरण दिया है जिससे उनको 76.715 करोड़ का चंदा हासिल हुआ है. दलों ने 130 दानदाताओं से तो बिना मोड ऑफ पेमेंट घोषित किए ₹30 लाख का चंदा हासिल किया है. 780 दानदाताओं से 25 लाख रुपए की राशि नगद के रूप में भी दलों ने हासिल की है.
चंदा हासिल करने वाले यह दल दानदाताओं के पैन कार्ड विवरण को भी देना जरुरी नहीं समझते हैं. अगर उपलब्ध भी कराते हैं तो अधिकतर का आधा अधूरा या गलत पैन कार्ड नंबर दे दिया जाता है. ऐसे आधे अधूरे विवरण से भी दलों को 1.64 करोड रुपए की राशि हासिल होने का खुलासा हुआ है.
सबसे ज्यादा डोनेशन देने वाले Top 10 में हैं यह राज्य
दलों को किस राज्य से सबसे ज्यादा चंदा मिला है, उसमें गुजरात राज्य सबसे टॉप पर है. गुजरात से 54. 206 करोड़ राशि 3511 दानदाताओं से प्राप्त हुई है. जबकि दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र से 6526 दानदाताओं से 12.239 करोड जबकि तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश राज्य से 3.294 करोड़ की राशि 179 दानों से मिली है. वहीं दिल्ली से 2.95 करोड़, तमिलनाडु से 2.92 करोड, राजस्थान से 2.715 करोड़, वेस्ट बंगाल से 1. 62 करोड़, हरियाणा से 1.143 करोड़, बिहार से 0.87 करोड़ और कर्नाटक से 0.75 करोड़ का चंदा दलों को मिला है.