भोपाल
राजधानी के बजरिया इलाके में एक टेलीकॉम इंजीनियर को छह घंटे तक डिजिटल अरेस्ट करने के मामले में साइबर क्राइम पुलिस ने धरपकड़ शुरू कर दी है। ठगी का प्रयास करने वाले बदमाशों के आइपी एड्रेस को ट्रेस करते हुए भोपाल साइबर क्राइम पुलिस कानपुर देहात पहुंची और संदेह के आधार पर दो लोगों को हिरासत में लिया है। भोपाल की पुलिस दो दिन से कानपुर देहात में डेरा डाले हुए है।
पुलिस का कहना है कि गांव के अन्य लोग भी बड़ी संख्या में ऑनलाइन ठगी करने वाले नेटवर्क से जुड़े हो सकते हैं। हिरासत में लिए गए लोगों से पूछताछ में पुलिस को अहम जानकारी हाथ आई है। जल्द ही कुछ और लोगों को हिरासत में लिया जा सकता है। मुख्य आरोपितों की पहचान करने के बाद पुलिस इस मामले में बड़ा खुलासा कर सकती है।
इंजीनियर को घर में किया था डिजिटल अरेस्ट
बता दें कि मंगलवार को बजरिया इलाके के गायत्री नगर में रहने वाले टेलीकॉम इंजीनियर प्रमोद कुमार को उनके ही घर में डिजिटल अरेस्ट के नाम पर छह घंटे तक बंधक बनाया गया था। जालसाजों ने अलग-अलग जांच एजेंसियों के अधिकारी बनकर उसे फोन किया और उसे इस कदर डरा दिया था कि उसने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया और यहां तक कि ऑफिस वालों के भी फोन उठाना बंद कर दिया था। जालसाजों ने उससे साढ़े तीन लाख रुपये की मांग की थी।
अगले दिन घटना की सूचना मिलने पर क्राइम ब्रांच पुलिस टेलीकॉम इंजीनियर के घर पहुंची और उसे सांत्वना दी, तब जाकर वह सामान्य हो पाया था। इस तरह पुलिस ने उसे ठगी से बचाया। बाद में पुलिस आईपी एड्रेस से ठगों की लोकेशन ट्रेस करते हुए उनके ठिकानों तक पहुंची।
डिजिटल अरेस्ट से ऐसे बचें
किसी अनजान व्यक्ति के साथ कोई ओटीपी शेयर न करें और न ही किसी अनजान लिंक पर क्लिक करें।
कोई भी इंटेलिजेंस या जांच एजेंसी इस तरह के कॉल या मैसेज नहीं करती है। ऐसे फोन आने पर सावधान रहें।
अनजान नंबर से आए वीडियो कॉल न उठाएं। इसमें आपत्तिजनक चीजों के साथ रिकॉर्डिंग हो सकती है।
साइबर ठग डिजिटल अरेस्ट के लिए पीड़ितों को फोन कॉल, ई-मेल से संदेश भेजते हैं। बताते हैं कि आप मनी लॉन्ड्रिंग या चोरी जैसे अपराधों के तहत जांच के दायरे में हैं। ऐसे किसी कॉल और ई-मेल पर ध्यान न दें।
डिजिटल अरेस्ट कर ठगी की गई है, तो हेल्पलाइन नंबर 1930 या वेबसाइट cybercrime.gov.in पर शिकायत करे सकते हैं।