विदेशों में भारतीय राजनयिकों को कृषि कानूनों से जुड़े विस्तृत नोट मुहैया कराया गया है. जिससे कि कृषि कानूनों और आंदोलन से जुड़े हर सवाल का जवाब दिया जा सके.
दिल्ली की सीमाओं पर नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) को लेकर किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है. पिछले हफ्ते विदेश के कई नामी गिरामी लोगों ने इस कानून को लेकर भारत सरकार की आलोचना की थी. लेकिन अब सरकार ने विदेश में कृषि कानूनों पर भ्रम फैलाने वालों पर लगाम लगाने के लिए खास प्लान तैयार किया है. भारतीय दूतावासों और उच्चायोग को विदेश मंत्रालय की तरफ से भारत के पक्ष को स्थानीय राय बनाने वालों और भारतीय समुदाय के माध्यम से रखने को कहा गया है.
विदेशों में भारतीय राजनयिकों को कृषि कानूनों से जुड़े विस्तृत नोट मुहैया कराया गया है. जिससे कि कृषि कानूनों और आंदोलन से जुड़े हर सवाल का जवाब दिया जा सके.भारतीय दूतावास भारत सरकार के उस पक्ष को भी रखेंगे जिसमें प्रदर्शनकारी किसानों से सरकार बातचीत कर रही है. दुनिया भर के दूतावासों में भारतीय राजनयिकों को कहा गया है कि वह वहां के मीडिया में अपने संपर्क को सक्रिय करें ताकि कृषि कानूनों पर या कृषि आंदोलन पर किसी तरह के भ्रम को दूर किया जा सके.
भारत के फोकस पर मुख्यतौर पर अमेरिका और पश्चिमी देश हैं. पॉप स्टार रिहाना और दूसरे विदेशी नागरिकों और संस्थाओं की तरफ से कृषि कानूनों पर बयान के बाद विदेश मंत्रालय की तरफ से ये कदम उठाया गया है. सरकार ने सोशल मीडिया पर इंडिया अगेंस्ट प्रोपेगेंडा हैशटेग को मिले रिस्पॉन्स के बाद ये कदम उठाया है.
बता दें कि भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा कि मांगें पूरी होने तक घर वापसी नहीं होगी. टिकैत ने यहां किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को जारी रखने का विश्वास दिलाने के लिए एक नया कानून बनाना चाहिए और गिरफ्तार किये गये किसानों को रिहा करना चाहिए. टिकैत ने दावा किया कि नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन मजबूत होता जा रहा है। कई खाप नेता महापंचायत में मौजूद थे. टिकैत ने आंदोलन को मजबूत करने में उनकी भूमिका की सराहना की.