टेस्ट क्रिकेट में TV अंपायर की एंट्री के बाद से नो-बॉल काफी बढ़ गई हैं। यह मामला भारत और इंग्लैंड चेन्नई टेस्ट से गर्माया है। इस टेस्ट में टीम इंडिया के बॉलर्स ने 27 नो-बॉल की थीं। मैच की पहली पारी में भारत ने 20 नो-बॉल की थी, जो कोरोना के बीच टेस्ट की वापसी के बाद से एक पारी में सबसे ज्यादा है।
TV अंपायर की एंट्री के बाद यानि अगस्त 2020 के बाद के आंकड़ों पर नजर डालें, तो 9 टीमों ने 20 टेस्ट में 36454 बॉल कीं। इस दौरान गेंदबाजों ने 140 की औसत से 261 नो-बॉल डाली हैं। यानि हर 140वीं गेंद नो-बॉल रही है।
इस औसत की तुलना अगस्त 2020 से ठीक पहले के 21 टेस्ट से करें तो यह काफी ज्यादा है। इन 21 टेस्ट के दौरान 11 टीम के गेंदबाजों ने कुल 39540 बॉल फेंकी। इस दौरान 377 की औसत से 105 नो-बॉल ही डालीं।
इंग्लैंड-पाकिस्तान टेस्ट से नियम लागू हुआ
इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) अंपायरिंग के स्तर को सुधारने के लिए बॉलर्स के क्रीज से बाहर होने पर नो-बॉल देने का अधिकार टीवी अंपायर को देने का फैसला किया था। यह नियम टेस्ट में 5 अगस्त 2020 से इंग्लैंड और पाकिस्तान के बीच खेले गए मैच से लागू हुआ था। कोरोना के बीच यह दूसरी इंटरनेशनल सीरीज थी।
नो-बॉल फेंकने में जिम्बाब्वे के बाद भारत दूसरे नंबर पर
प्रति टेस्ट नो-बॉल के मामले में जिम्बाब्वे के बाद भारत दूसरे नंबर पर काबिज है। टेस्ट इतिहास में अब तक टीम इंडिया ने 574 मैच में 5272 नो-बॉल डाली हैं। इस दौरान उसका औसत 9.64 का रहा है। वहीं, जिम्बाब्वे ने 110 टेस्ट में 9.86 की औसत से 1085 नो-बॉल की हैं।
ओवरऑल नो-बॉल के मामले में भारत तीसरे नंबर पर
ओवरऑल सबसे ज्यादा नो-बॉल के मामले में इंग्लैंड टॉप पर है। इंग्लिश टीम ने अब तक 1031 टेस्ट में 8262 नो-बॉल कीं, जबकि दूसरे नंबर पर काबिज ऑस्ट्रेलियाई टीम के गेंदबाजों ने 834 मैच में 6726 नो-बॉल फेंकी। तीसरे नंबर पर भारतीय टीम है, जिसने 547 टेस्ट में 5272 नो-बॉल की।
अश्विन ने करियर में पहली बार नो-बॉल डाली
भारतीय स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने भी अपने टेस्ट करियर की पहली बॉल इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई टेस्ट में ही डाली है। इससे पहले वे टेस्ट करियर में 20600 से ज्यादा बॉल डाल चुके थे। मैच के 137वें ओवर में उन्होंने नो-बॉल डाली थी। मैच में उन्होंने करीब 40 ओवर बाद दूसरी नो-बॉल भी की थी।