देश

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले कानून को SC में चुनौती, CJI खन्ना ने खुद को सुनवाई से किया अलग

नई दिल्ली
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जो मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023 की धारा 7 और 8 की संवैधानिकता को चुनौती देती हैं।

पीठ ने निर्देश दिया कि इन याचिकाओं को 6 जनवरी, 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए। साथ ही, केंद्र सरकार और चुनाव आयोग (ECI) को इन याचिकाओं पर अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करने का आदेश दिया। फिलहाल प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त, निर्वाचन आयुक्तों का चयन करने वाली समिति से सीजेआई को बाहर रखने के खिलाफ याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है।

मामले की सुनवाई की शुरुआत में न्यायमूर्ति संजय कुमार के साथ पीठ में शामिल रहे प्रधान न्यायाधीश ने जनहित याचिका दायर करने वालों के वकीलों से कहा कि वह याचिकाओं पर सुनवाई नहीं कर सकते। वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन और वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि न्यायमूर्ति खन्ना की अगुवाई वाली पिछली पीठ ने मामले में अंतरिम आदेश पारित किए थे। न्यायमूर्ति खन्ना ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के सेवानिवृत्त होने के बाद 51वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ली है। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि अब ये मामले शीतकालीन अवकाश के बाद किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किए जाएंगे।

क्या है मामला?
इस नए कानून के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए मुख्य न्यायाधीश को समिति से हटा दिया गया है। अब इनकी नियुक्ति प्रधानमंत्री, एक कैबिनेट मंत्री और विपक्ष के नेता की सिफारिशों पर होगी। इससे पहले, न्यायमूर्ति खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इस कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

याचिकाकर्ताओं में शामिल संगठन
इस कानून को चुनौती देने वालों में कांग्रेस नेता जया ठाकुर, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL), लोक प्रहरी और अन्य संगठनों के नाम शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह कानून चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सवाल उठाता है और कार्यपालिका की अधिकता को बढ़ावा देता है। उनका दावा है कि यह संविधान के अनुच्छेद 324 का उल्लंघन है।

PRATYUSHAASHAKINAYIKIRAN.COM
Editor : Maya Puranik
Permanent Address : Yadu kirana store ke pass Parshuram nagar professor colony raipur cg
Email : puranikrajesh2008@gmail.com
Mobile : -91-9893051148
Website : pratyushaashakinayikiran.com