छत्तीसगढ़

बस्तर इमली उत्पादन में देश में अव्वल -वनवासियों को मिल रहा बेहतर रोजगार

रायपुर।छत्तीसगढ के बस्तर के वनों में इमली का भरपूर उत्पादन होता है।बस्तर इमली उतपादन में देश में अव्वल स्धान पर है।ऐसे मेंबस्तर की मंडी में इमली की भरपूर आवक एवं बिक्री होती है।मुख्यालय जगदलपुर की इमली मंडी को एशिया की सबसे बडी इमली मंडी का खिताब हासिल हो गया है।इमली की फसल फरवरी से अप्रेल तक आती है जिसका संग्रहण कर वनवासी मंडी तक लाते हैं जहां कोई 600 करोड रुपये इमली की खरीद फरोख्त होती है।दूसरी ओर सरकार द्वारा घोषित समर्थन मुल्य पर वनोपज सहकारी समितियों द्वारा200 करोड की इमली की खरीददारी की जाती है।इसके अलावा हाट बाजारों में भी इसकी बिक्री की जाती है।बस्तर की इमली का कुल कारोबार कोई1000 करोड रुपये का है।बस्तरिया इमली की खासियत इसकी; क्वालिटी और रंग है, जो विदेशों में अपनी पहचान बनाए हुए है। यहां की इमली की मांग आंध्रप्रदेश, केरल, तमिलनाडू, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में तो है ही, वहीं सालाना 150 करोड़ के इमली का निर्यात श्रीलंका, मलेशिया, पाकिस्तान और वियतनाम जैसे दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में भी किया जाता है।बस्तरिया इमली की अलग अलग क्वालिटी है। नारायणपुर से आने वाली इमली अपने बेहतर क्वालिटी के लिए विख्यात है तो लोंहड़ीगुड़ा की इमली अपने रंग को लेकर लोकप्रिय है। वहीं दरभा की इमली गूदेदार और मीठे स्वाद की वजह से अन्य राज्यों में भी पसंदीदा बनी हुई है।
बस्तरिया इमली की मांग अन्य राज्यों तथा विदेशों में होने की वजह से स्थानीय व्यापारियों को भी इसकी कीमत अच्छी मिलने लगी है। दूसरे राज्यों के व्यापारी भी यहां आकर खरीदने में काफी रुचि दिखा रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा लघु वनोपजों का समर्थन मूल्य निर्धारित करने के लिए लगातार किए जा रहे प्रयासों के फलस्वरूप भारत सरकार ने ईमली का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित कर दिया है। यह न्यूनतम समर्थन मूल्य 18 रूपए प्रति किलो निर्धारित किया गया है। राज्य सरकार द्वारा 22 रुपये प्रति किलो समर्थन मुल्य दिया जा रहा है ।अभी हाल 7 रुपये प्रति किलो बोनस देने के आदेश हुवे हैं। इस वर्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सहकारीसमितियों द्वारा200 करोड़ रूपए की इमली खरीदी का लक्ष्य है।बस्तर को सबसे बड़ा इमली उत्पादक माना जाता है। जगदलपुर मंडी में ही हर साल करीब सौ करोड़ रुपए का इमली का कारोबार होता है वहीं संभाग की अन्य मंडियों में होने वाले कारोबार का आंकड़ा मिलाया जाए तो इमली के कारोबार की राशि 600 करोड़ रुपए के ऊपर चली जाती है।बस्तर की आबोहवा इमली के लिए काफी अनुकूल है. हर साल टनों इमली की पैदावार होती है. इमली की इस थोक में पैदावार के चलते यहां के व्यापारी बस्तर की इमली को दूसरे राज्यों में भेजते हैं. दूसरे राज्यों तक पहुंचने वाली इमली बाद में दूसरे मुल्कों तक पहुंचती हैं. अन्य देशों में जाने वाली इमली सीधे बस्तर से न होकर दूसरे राज्य आन्ध्र प्रदेश तेलंगाना और तमिलनाडू के रास्ते वहां तक पहुचती हैँ. मंडी के व्यवसायी बस्तर की इमली के कारोबार से काफी ज्यादा उत्साहित है.     बस्तर में इमली से रोजगार
बस्तर में इमली ने ग्रामीणों के बीच संग्रहण कर बेचने के साथ ही रोजगार के अन्य अवसर भी प्रदान किये हैं ओर रोजगार के नये रास्ते बनाये हैं।इमली के प्रस्करण और पेकेजिंग का काम कई गांवों में कुटीर उद्योग की तरह विकसित हो रहा है।
कई घरों में महिलायें लकड़ी के छोटे टुकड़ों से पीट कर इमली से इसके गुदे, रेशे और बीज को अलग करती हैं।
फिर इमली की आकर्षक पैकिंग की जाती है।स्थानीय व्यवसायी द्वारा इस कार्य का मेहनताना दिया जाता है।इमली सीजन के समाप्ति के बाद यह कार्य कई माह चलता है और घर बैठे लोगों को अपनी मर्जी का रोजगार उपलब्ध होता है।
इससे ग्रामीणों कोअच्छा खासा रोजगार हासिल होने लगा है जो उनके आर्थिक स्थिति में बदलाव ला रहा है। इमली के प्रस्करण और पेकेजिंग के घर बैठे काम से ग्रामीणों के रोजगार की नई राह खुलने लगी है।बहरहाल बस्तर में ईमली का कारोबार अब सीधे रोजगार से जुड गया है। इस रोजगार की राह को व्यवस्थित दिशा देने की जरुरत है.———तपन मुखर्जी

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