जो बाइडन (Joe Biden) ने कहा-हमारे भविष्य के लिए जरूरी है कि हिंदी-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific Region) स्वतंत्र और खुला बना रहे. उन्होंने साफ किया कि वो क्वाड देशों के साथ मिलकर काम करने को लेकर बेहद उत्सुक हैं. बाइडन ने इशारों में बिना चीन का नाम लिए कहा कि हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति के लिए प्रतिबद्ध हैं.
क्वाड देशों (QUAD Meeting) की बैठक के दौरान शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) ने साफ संकेत दिए कि चीन (China) पर सख्त निगाहें बनी रहेंगी. उन्होंने कहा-हमारे भविष्य के लिए जरूरी है कि हिंदी-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific Region) स्वतंत्र और खुला बना रहे. उन्होंने साफ किया कि वो क्वाड देशों के साथ मिलकर काम करने को लेकर बेहद उत्सुक हैं. बाइडन ने इशारों में बिना चीन का नाम लिए कहा कि हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति के लिए प्रतिबद्ध हैं.
बैठक के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी संकेत दिया कि क्वाड देशों का समूह महज सुरक्षा के मुद्दे पर नहीं जुड़ा रहेगा. भविष्य में ये समूह कई वैश्विक मुद्दों पर साथ मिलकर काम
करेगा लेकिन वर्तमान में प्राथमिकता में कोविड वैक्सीन है.
वहीं बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि साझा मूल्यों को आगे बढ़ाने और सुरक्षित, स्थिर, समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए पहले से कहीं अधिक साथ मिलकर, निकटता से काम करेंगे. उन्होंने कहा, ‘आज का सम्मेलन दिखाता है कि ‘क्वाड’ विकसित हो चुका है और यह अब क्षेत्र में स्थिरता का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बना रहेगा.’
हम अपने लोकतांत्रिक मूल्यों और मुक्त तथा समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए प्रतिबद्ध: PM मोदी
पीएम मोदी ने भी बगैर चीन का नाम लिए कहा- हम अपने लोकतांत्रिक मूल्यों और मुक्त तथा समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर अपनी प्रतिबद्धता के लिए एकजुट हैं.’ बैठक के बाद भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया-आज की बैठक में सभी नेताओं ने सकारात्मक एजेंडा और विजन पर बातचीत की. नेताओं का फोकस वर्तमान के बड़े मुद्दों जैसे वैक्सीन, क्लाइमेट चेंज और तकनीकी सहयोग पर रहा. क्वाड देशों का वैक्सीन इनिशियेटिव सबसे महत्वपूर्ण कदम है. चारों देशों ने अपने वित्तीय संसाधनों, उत्पादन क्षमता सहित अन्य सुविधाओं के जरिए सहयोग की बात कही है.
चीन पहले ही बैठक को लेकर इशारों में जता चुका है विरोध
दरअसल इस बैठक के पहले ही चीन भांप गया था कि उसके दादागीरी वाले व्यवहार पर निशाना साधा जा सकता है. याद दिला दें कि चीन इस बैठक से पहले कह चुका है कि देशों को आपस में मिलने के दौरान आपसी मुद्दों पर बात करनी चाहिए न कि किसी थर्ड पार्टी को निशाना बनाना चाहिए.