राजस्थान

कांग्रेस के 24 विधायकों को बिना माइक वाली सीटें दी गईं, उनमें से 22 एससी-एसटी, ओबीसी और माइनॉरिटी के

विधानसभा के बजट सत्र में एससी, एसटी और माइनॉरिटी के कांग्रेस विधायकों को बिना माइक वाली सीटें देने का विवाद अभी शांत नहीं हुआ है। अब यह सामने आया है कि विधानसभा में कांग्रेस के 24 विधायकों को बिना माइक की सीटें मिलीं। उनमें 22 विधायक एससी, एसटी, माइनॉरिटी और ओबीसी हैं। इनमें एसटी के 5, एससी और माइनॉरिटी के 4-4 और ओबीसी वर्ग के 9 विधायक हैं। कांग्रेस में अभी एससी, एसटी और मुस्लिम माइनॉरिटी के 37 विधायक हैं।

कोविड के कारण विधानसभा में की गई बैठक व्यवस्था में 45 विधायकों को बिना माइक वाली सीटें दी गई थीं। उनमें से कांग्रेस के 24 विधायकों को बिना माइक की सीटें मिली थीं। पायलट समर्थक रमेश मीणा ने इसे आधार बनाकर एससी-एसटी के भेदभाव से जोड़ दिया।

रमेश मीणा ने कहा था- आवाज दबाने के लिए जानबूझकर ऐसा किया
सचिन पायलट समर्थक रमेश मीणा ने 10 मार्च को विधानसभा में यह आरोप लगाया था कि एससी-एसटी और माइनारिटी वर्ग के विधायकों की आवाज दबाने के लिए उन्हें जानबूझकर बिना माइक वाली सीटें दी गई हैं। इन आरोपों के बाद पायलट समर्थक मुरारीलाल मीणा और वेदप्रकाश सोलंकी भी समर्थन में आ गए थे।

पहले सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा था कि एससी एसटी और माइनॉरिटी कांग्रेस की बैकबोन है। आवाज दबाने का सवाल ही नहीं उठता। रमेश मीणा की नाराजगी दूर करने का प्रयास होगा, लेकिन अब महेश जोशी ने पूरे विवाद पर टिप्पणी करने से ही इंकार कर दिया।

कांग्रेस के इन 24 विधायकों को दी गईं बिना माइक वाली सीटें, इनमें 2 मंत्री
टीकाराम जुली, भजनलाल जाटव, रमेश मीणा, अमर सिंह जाटव, महेंद्रजीत सिंह मालवीय, पीआर मीणा, लाखन सिंह मीणा, रफीक खान, मुरारीलाल मीणा, वेदप्रकाश सोलंकी, अमीन कागजी, अमीन खां, दानिश अबरार, विजयपाल मिर्धा, जीआर खटाणा, जोगिन्द्र सिंह अवाना, सुदर्शन सिंह रावत, संदीप यादव, बृजेंद्र सिंह ओला, राजेंद्र सिंह गुढा, गुरमीत सिंह कुनर, डॉ. जितेंद्र सिंह, मेवाराम जैन, महेंद्र बिश्नोई। इनमें टीकाराम जुली और भजनलाल जाटव मंत्री हैं।

विधानसभा स्पीकर ने विवाद उठने के बाद कहा था, सदन में सीट अलॉट करने का जिम्मा मुख्य सचेतक का
विधानसभा में जिस वक्त यह विवाद उठा उस वक्त स्पीकर सीपी जोशी ने कहा था कि सदन में बैठने की व्यवस्था स्पीकर नहीं करता। बैठने की व्यवस्था मुख्य सचेतक करते हैं। मुख्य सचेतक और संसदीय कार्यमंत्री तय करते हैं कि कौन कहां बैठेगा? कोविड के कारण एक तिहाई सीटें विधानसभा में खाली रखी गईं। इसकी वजह से कई विधायकों को माइक वाली सीटें नहीं मिलीं।

सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी का तर्क था कि कोविड के कारण की गई व्यवस्था के चलते किसी न किसी विधायक को बिना माइक की सीट पर बैठना ही पड़ता है। बीच सत्र में व्यवस्था बदलने से जोशी ने इनकार कर दिया था। अब ​विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो चुकी है। अब निगाहें अगले सत्र पर है।

2 बीजेपी विधायकों की सीटें बदली गई- मीणा
रमेश मीणा ने शनिवार को कहा कि विधानसभा बजट सत्र की कार्यवाही स्थगित हो गई। लेकिन कांग्रेस विधायकों की बैठक व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ। जबकि बीजेपी के 2 विधायकों की सीट बदल उन्हें माइक वाली सीटें दी गईं। जो बीच सत्र बदलाव नहीं करने की बात कर रहे थे वे बताएं भाजपा में कैसे बदलाव हो गया?खबरें और भी हैं…

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