सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च को कर्ज में डूबे जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (JP Infratech Limited) का केस वापस कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स के पास भेज दिया है. साथ ही उन्हें 45 दिनों का अतिरिक्त वक्त दिया गया है ताकि कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रेज्योलूशन प्रोसेस (CIRP) को पूरा किया जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने NBCC और सुरक्षा को रिवाइज्ड रेज्योलूशन प्लान जमा करने की अनुमति दी है. कोर्ट के इस आदेश के बाद जेपी फ्लेट बायर्स को अभी इंतज़ार करना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि कंपनी की तरफ से जमा किए 750 करोड़ रुपए रेज्योलूशन प्लान का हिस्सा नहीं होंगे. इस रकम का इस्तेमाल NBCC कंस्ट्रक्शन में नहीं कर सकती है.
बता दें कि 6 अगस्त 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलीय ट्राइब्यूनल (NCLAT) के पास लंबित सभी मामले अपने पास ट्रांसफर ले लिए थे. ये याचिकाएं NBCC की उस योजना के खिलाफ थी जिसके तहत वह कर्ज में डूबी जेपी इंफ्राटेक की 20,000 पेंडिंग फ्लैट खरीदना चाहती थी. 8 अक्टूबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने कुछ याचिकाओं की सुनवाई करते हुए अपना फैसला पलट दिया था.
जानिए क्या है पूरा मामला
2007 में जेपी इंफ्राटेक ने यूपी के नोएडा में 32,000 फ्लैट्स और कुछ प्लॉट बेचने का प्रस्ताव रखा था. ये फ्लैट्स नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे से सटे सेक्टर 128, 129, 131, 133 और 134 में बने विश टाउन प्रोजेक्ट का हिस्सा थे. जेपी इंफ्राटेक ने ग्राहकों को भरोसा दिया था कि वह 2011-12 तक सभी फ्लैट्स की डिलीवरी दे देगा. लेकिन कंपनी ने सिर्फ 12,000 फ्लैट्स की डिलीवर दी और कुछ फ्लैट्स बेचे.
जेपी इंफ्राटेक विश टाउन और जेपी अमन प्रोजेक्ट्स के 20,000 फ्लैट्स डिलीवर करने में नाकाम रही. इसके बाद कंपनी ने बैंक लोन पर डिफॉल्ट कर दिया. जेपी इंफ्राटेक ने कई बैंकों के समूह से लोन लिया था. अगस्त 2017 में होमबायर्स ने क्लेम करना शुरू किया और अनुज जैन इनसॉल्वेंसी रेज्योलूशन प्रोफेशनल (IRP) नियुक्त किया गया. दिसंबर से मई 2018 के बीच IRP ने जेपी की संपत्तियों और प्रोजेक्ट्स के लिए बोलियां मंगाई थीं.