देश

सेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन पर रिव्यू का आदेश, 5 पॉइंट्स में जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

सेना (Army) में महिलाओं के स्थायी कमीशन को लेकर देश के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने सेना को एक महीने के अंदर मामले पर विचार करने के आदेश दिए हैं. साथ अदालत ने सेना की सालाना रिपोर्ट और मेडिकल फिटनेस के मापदंडों के देर से लागू होने को महिलाओं के लिए पक्षपात पूर्ण बताया है. कोर्ट ने गुरुवार को सेना में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन का समर्थन कर रहीं 80 महिलाओं की याचिकाओं पर सुनवाई की थी.

खास बात है कि बीते साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने सेना में महिला अधिकारियों को पुरुषों के बराबर कमांड पदों के लिए पात्र होने की अनुमति दी थी. उस समय भी कोर्ट ने सरकार के तर्कों को ‘भेदभावपूर्ण’, परेशान करने वाले और रूढ़िवाद पर आधारित बताया था. अदालत ने यह भी कहा था कि महिलाओं के लिए सेवाकाल की परवाह के बगैर सभी महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन उपलब्ध होगा.

यहां जानें याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अदालत की 5 बड़ी बातें-
1- याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने महिलाओं के लिए अनिवार्य मेडिकल फिटनेस को ‘मनमाना’ और ‘तर्कहीन’ बताया है. अदालत ने कहा कि सेना की एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट यानि ACR आकलन और मेडिकल फिटनेस मापदंडों में देर से लागू होना महिला अधिकारियों के लिए भेदभावपूर्ण है.

2- कोर्ट पहले भी महिलाओं को स्थायी कमीशन देने की बात कह चुका है. इस बार अदालत ने आकलन प्रक्रिया को महिला अधिकारियों को परेशान करने वाला बताया है. बेंच ने कहा. ‘आकलन के तरीके की वजह से SSC यानि शॉर्ट सर्विस कमीशन महिला अधिकारियों को आर्थिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाता है.’

3- इस दौरान अदालत ने सेना में रहते हुए महिलाओं के कार्यों की तारीफ भी की है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा ‘कई महिला अधिकारियों ने कोर्ट के सामने कई अवॉर्ड जीते थे. कइयों ने विदेश के एसाइमेंट्स पर शानदार काम किया है.’ साथ ही उन्होंने महिलाओं के चयन को लेकर गठित किए जाने वाले बोर्ड पर भी सवाल उठाए हैं.

4- महिलाओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए अदालत ने चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए हैं. अदालत ने कहा, ‘हमें पता लगा है कि जिन्होंने स्पोर्ट्स में शानदार प्रदर्शन किया, उन्हें भी नजरअंदाज किया गया.’ खास बात है कि फैसले में अदालत ने महिलाओं की उपलब्धियों से जुड़ी एक बड़ी सूची भी शामिल की है. अदालत ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि बोर्ड सेलेक्शन के बजाए रिजेक्शन के लिए बैठता है.’

5- गुरुवार को अदालत ने शॉर्ट सर्विस कमीशन महिलाओं के साथ भेदभाव को लेकर अप्रत्‍यक्ष रूप से सेना की आलोचना की. अदालत ने कहा है कि देश के लिए ख्याति प्राप्त करने वाली महिलाओं को भी परमानेंट कमीशन के मामले में नजरअंदाज किया गया.

जनसम्पर्क विभाग – आरएसएस फीड

PRATYUSHAASHAKINAYIKIRAN.COM
Editor : Maya Puranik
Permanent Address : Yadu kirana store ke pass Parshuram nagar professor colony raipur cg
Email : puranikrajesh2008@gmail.com
Mobile : -91-9893051148
Website : pratyushaashakinayikiran.com