देश

सुप्रीम कोर्ट का इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगाने से इनकार, 1 अप्रैल से फिर होंगे जारी

सुप्रीम कोर्ट ने 5 राज्यों में विधानसभा के चुनाव से ठीक पहले इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bonds) पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. ये आदेश सिर्फ एक अप्रैल से जारी होने वाले इलेक्टोरल बॉन्ड के लिए है. कोर्ट ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड सही है या गलत इस पर बाद में बहस होगी. कोर्ट ने एडीआर की याचिका खारिज कर दी है. बता दें कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कॉरपोरेट और निजी लोग किसी भी राजनीतिक दल को चंदा देते है.

गैर सरकारी संस्था एडीआर ने सुप्रीम कोर्ट में इलेक्टोरल बॉन्ड के सिस्टम को चुनौती दी है. उनका कहना है कि इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा देकर निजी कंपनियां राजनीतिक दलों को कंट्रोल कर सकती है. कोर्ट ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड सही है या गलत इस पर बाद में सुनवाई होगी और इसके बाद ही कोई फैसला सुनाया जाएगा. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ अंतरिम आदेश दिए है. आज का आदेश सिर्फ पांच राज्यों के चुनाव को लेकर है.

2018 से चल रही है स्कीम
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा की ये स्कीम 2018 में शुरू हुआ था. कई चुनाव में इसका इस्तेमाल हो चुका है. इसमें कई तरह के प्रावधान है जो गलत इस्तेमाल को रोकते है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट फिलहाल इसको रोकने के हक में नहीं है.
क्या है चुनावी बॉन्ड?

केंद्र सरकार ने देश के राजनीतिक दलों के चुनावी चंदे में पारदर्शी बनाए रखने के लिए वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) शुरू करने का ऐलान किया था. चुनावी बॉन्ड से मतलब एक ऐसे बॉन्ड से होता है जिसके ऊपर एक करेंसी नोट की तरह उसकी वैल्यू या मूल्य लिखा होता है.


क्या होता है चुनावी बॉन्ड का इस्तेमाल?
चुनावी यानी इलेक्टोरल बॉन्ड का इस्तेमाल व्यक्तियों, संस्थाओं और संगठनों द्वारा राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए किया जा सकता है.

PRATYUSHAASHAKINAYIKIRAN.COM
Editor : Maya Puranik
Permanent Address : Yadu kirana store ke pass Parshuram nagar professor colony raipur cg
Email : puranikrajesh2008@gmail.com
Mobile : -91-9893051148
Website : pratyushaashakinayikiran.com