भारत के नक्शे में पुडुचेरी (Puducherry Assembly Elections 2021) एक बिंदु से थोड़ा बड़ा है. यहां से सिर्फ एकमात्र प्रतिनिधि संसद में प्रतिनिधित्व करते हैं. फिर भी इस केंद्रशासित प्रदेश (Union Territory) में 6 अप्रैल को होने जा रहा विधानसभा चुनाव तेजी से बदल रहे अंतर्विरोधों का एक प्रमुख राजनीतिक कैनवस पेश कर रहा है.
इस राजनीतिक कैनवस में अब एक नया रंग है- केसरिया, जो भगवा पार्टी (BJP) के झंडे के साथ आसमान में चमक रहा है. दीवारों पर भी लगे पोस्टर और होर्डिंग्स बदलती राजनीतिक परिदृश्य की कहानी बयां कर रहे हैं.
पुडुचेरी में एक चुनावी जीत बीजेपी के लिए पड़ोसी राज्य तमिलनाडु में सत्ता की कुर्सी पर पहुंचने का बेहतर रास्ता साबित हो सकती है, जहां दो द्रविड़ पार्टियां- द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) और अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) अपने राजनीतिक किले को मजबूती से बचाए हुए हैं. 1967 में कांग्रेस की हार के बाद से ये सिलसिला जारी है.
छोटे से केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में भगवाकरण की योजना बीजेपी के एक विशाल विकास प्लान में शामिल है. इसमें रोजगार पैदा करना, लोगों के जीवनस्तर को ऊपर उठाना और बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित करना भी है. इसका मतलब है कि भगवा खेमे को उम्मीद है कि तमिलनाडु की सीमाओं पर मतदाता पुडुचेरी में हो रहे विकास से जलेंगे और कमल (बीजेपी का चुनाव चिह्न) को खिलाने के लिए तरस जाएंगे. उस स्थिति में, 2026 का चुनाव एक अच्छा मौका हो सकता है.
वरिष्ठ कांग्रेसी और मंत्री मल्लादी कृष्ण राव (जिन्होंने यनम निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और यह अब भौगोलिक रूप से आंध्र प्रदेश में है) ने राहुल गांधी की 17 फरवरी को पुडुचेरी के दौरे से कुछ दिन पहले सरकार, पार्टी और उनकी विधानसभा सीट छोड़ दी. राहुल गांधी की इस यात्रा से ऐन वक्त पहले ये कांग्रेस के लिए किसी भूचाल से कम नहीं था. इस बीच राष्ट्रपति ने तेलंगाना के गवर्नर तमिलसाई सुंदरराजन को पुडुचेरी का अतिरिक्त प्रभार लेने का आदेश दिया.
इस बीच और कई विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. फिर नारायणसामी के लिए विधानसभा में बहुमत साबित करने की नौबत तक आ गई. नारायणसामी फ्लोर टेस्ट के लिए राजी तो हुए, लेकिन उन्होंने कहा कि तीन मनोनीत बीजेपी विधायक वोटिंग करने के अधिकारी नहीं हैं. हालांकि, स्पीकर ने उनकी इस बात को खारिज कर दिया. ऐसे में नारायणसामी ने वॉकआउट का फैसला किया और स्पीकर ने कांग्रेस सरकार के गिरने का ऐलान कर दिया. तब से प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा है.
तमिलनाडु में जहां डीएमके और एआईएडीएमके ने दशकों तक शासन किया है. इसके विपरीत पुडुचेरी ने लगभग हमेशा ही राष्ट्रीय पार्टी-कांग्रेस का पक्ष लिया, क्योंकि बीजेपी अब तक यहां एंट्री नहीं कर पाई है. चूंकि, केंद्र द्वारा संघ शासित प्रदेश को प्रशासित किया जाता है, इसलिए इसके मतदाताओं ने विकास और इन्फ्रा परियोजनाओं को प्राप्त करने के लिए एक राष्ट्रीय पार्टी को प्राथमिकता दी. अब, बीजेपी को विश्वास है कि वह अगली सरकार का हिस्सा होगी. साथ ही एन रंगासामी की अखिल भारतीय एनआर कांग्रेस (एआईएनआरसी) इस नई सरकार का नेतृत्व करेगी. हालांकि, बीजेपी यहां एक त्रिशंकु सदन के मामले में सरकार का नेतृत्व करने का मौका भी देख रही है.