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बदलेगा सैलरी स्ट्रक्चर:नए कानून से आपके हाथ में कम आएगी सैलरी, लेकिन बचत बढ़ेगी; आसान भाषा में समझिए क्या है नया बदलाव

अगर मैं आपसे पूछूं कि महीने के शुरुआत में जब सैलरी आती है, तो उसे खर्च होने में कितना दिन लगता है…मुट्ठी भरने से पहले ही खाली हो जाता है न… कई तरह के खर्चों के बीच सेविंग तो दूर की बात है महीने के आखिर घर खर्च संभालना भी मुश्किल हो जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए अब सरकार ने लोगों के सेविंग स्किल को मजबूत करते हुए श्रम कानूनों में कुछ बदलाव किए हैं, जो इसी 1 अप्रैल से लागू होंगे। इसका असर आपकी सैलरी पर मई से दिखना भी शुरू हो जाएगा।

कानूनों में बदलाव के चलते आपकी टेक होम यानी इन हैंड सैलरी कम हो जाएगी, लेकिन प्रॉविडेंट फंड यानी पीएफ की रकम बढ़ेगी। इसका सीधा अर्थ है कि सरकार आपके सेविंग स्तर को बेहतर बनाने के प्रयास में है।

दरअसल, नौकरीपेशा लोगों के लिए देश में अभी तक 29 श्रम कानून थे, जिसमें पिछले साल सरकार ने बदलाव करते हुए 4 कर दिए हैं। ये कानून हैं- व्यावसायिक सुरक्षा कानून, स्वास्थ्य और कार्य की स्थितियां, औद्योगिक संबंध और सामाजिक सुरक्षा कानून।

HR कंसल्टेंट धर्मेश कहते हैं कि नए कानून का असर एंप्लॉई की सैलरी पर पड़ेगा लेकिन सेविंग के चलते भविष्य के लिए ज्यादा बचत होगा। PF पर मिलने वाला हर साल ब्याज 8-8.5% के बीच मिलता है। कुल मिलाकर नौकरीपेशा लोगों के लिए यह एक सकारात्मक कदम है।

अब समझते हैं सैलरी का गणित…

किसी भी नौकरी करने वाले व्यक्ति के बीच आमतौर पर दो शब्दों काफी चिर-परिचित होते हैं, पहला CTC यानी कॉस्ट टु कंपनी और दूसरा टेक होम सैलरी, जिसे इन-हैंड सैलरी भी कहते हैं।

1. CTC: CTC यानी कॉस्ट टू कंपनी, मतलब आपके काम के ऐवज में कंपनी का कुल खर्च, यह आपकी कुल सैलरी होती है। इस सैलरी में आपकी बेसिक सैलरी तो होती ही है, इसके अलावा हाउस अलाउंस, मेडिकल अलाउंस, ट्रैवल अलाउंस, फूड अलाउंस और इंसेंटिव भी होता है। इन सबको मिलाकर आपकी टोटल सैलरी तय होती है, जिसे CTC कहा जाता है।

2. टेक होम सैलरी: जब आपके हाथ में सैलरी आती है तो वह आपकी CTC से कम होती है। वजह- कंपनी आपकी CTC यानी कुल सैलरी से कुछ पैसा प्रोविडेंट फंड यानी PF के लिए काटती है, कुछ मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम के तौर पर काटती है और इसके अलावा भी कुछ मदों में कटौती की जाती है। इन सभी के बाद जो पैसा आपके हाथ में आता है, वह आपकी इन-हैंड सैलरी होती है।

नए बदलाव से कैसे कम हो जाएगी आपकी सैलरी?
जिसकी बेसिक सैलरी CTC की 50% है, उसे कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला, लेकिन जिसकी बेसिक सैलरी CTC की 50% नहीं है उसे ज्यादा फर्क पड़ेगा। ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि इन नियमों के तहत अब किसी की भी बेसिक सैलरी CTC के 50% से कम नहीं हो सकती। क्योंकि PF का पैसा आपकी बेसिक सैलरी से ही कटता है, जो बेसिक सैलरी का 12% होता है।

इसका सीधा मतलब है कि बेसिक सैलरी जितनी ज्यादा होगी PF उतना ज्यादा कटेगा। पहले लोग टोटल CTC से बेसिक सैलरी कम कराकर अलाउंस बढ़वा लेते थे, जिससे टैक्स में छूट भी मिल जाती थी और PF भी कम कटता था। इससे इन-हैंड सैलरी बढ़ जाती थी। धर्मेश के मुताबिक सरकार इन्हीं कमियों को दूर करने और कर्मचारियों के फायदे के लिए नियमों में बदलाव किए गए

उन्होंने बताया कि इससे कंपनियों में हायरिंग को लेकर थोड़ी समस्या जरूर होगी, क्योंकि ज्यादातर एंप्लॉई इन हैंड सैलरी पर बात करते हैं। ऐसे में कर्मचारियों को इस बदलाव के बारे में समझाना थोड़ा मुश्किल भरा हो सकता है। चूंकि कंपनी हायरिंग से पहले अपना बजट तय करती है तो इस पूरे प्रक्रिया में HR की जिम्मेदारियां बढ़ेंगी।

हालांकि एंप्लॉई को एक बार गणित समझ आ गया तब दिक्कत नहीं होगी। क्योंकि आखिरकार कानून में एंप्लॉई के हित की ही बात है। इसके अलावा सेक्टर से जुड़े अन्य जानकारों ने बताया कि इन-हैंड सैलरी, पीएफ, ग्रेच्युटी और पे स्लिप में बदलाव से कंपनी की बैलेंस शीट भी प्रभावित होगी।

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