भारत (India) के लक्षदीप आईलैंड में अमेरिकी नौसेना का एक युद्धपोत (Warship) पहुंचा है. इस बात की जानकारी अमेरिकी नौसेना के 7वें बेड़े (US Navy 7th Fleet) ने दी है. अमेरिका का कहना है कि जहाज ‘नेविगेशनल राइट्स और फ्रीडम’ के चलते यहां भेजा गया था. खास बात है कि वॉशिंगटन और नई दिल्ली के बीच उथल-पुथल जारी है. हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका का युद्धपोत भारत के खास इकोनॉमिक जोन से गुजरा हो, लेकिन इस बार नौसेना के तरफ से जारी आक्रामक प्रेस नोट ने चर्चाएं बढ़ा दी हैं
अमेरिकी नौसेना ने कहा कि उन्होंने युद्धपोत को 130 नॉटिकल मील यानि करीब 224 किमी भारत के लक्षदीप के पश्चिम में भेजा है. 7वें बेड़े की तरफ से जारी किया गया प्रेस नोट में इस बात को माना गया है कि ऐसा करने से पहले ‘भारत से सहमति’ नहीं मांगी गई थी. साथ ही यह भी कहा गया है कि मिसाइल डेस्ट्रॉयर यूएसएस जॉन पॉल जोन्स ‘अंतरराष्ट्रीय कानून’ में रहकर काम कर रहा था.
दरअसल, भारतीय कानून के मुताबिक, ‘महाद्वीपीय शेल्फ के अनन्य आर्थिक क्षेत्र’ का इस्तेमाल करने से पहले या मार्ग से गुजरने से पहले एक नोटिस देना होता है. वहीं, 7वें बेड़े का कहना है कि उन्होंने ‘नियमित फ्रीडम ऑफ नेविगेशन ऑपेरेशन्स (FONOPs)’ का संचालन किया है और यह एक देश के बारे में नहीं है. वहीं, भारतीय अधिकारियों की तरफ से मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
नौसेना के सूत्रों का कहना है कि यह बहुत कड़ा बयान था. एक सूत्र ने बताया ‘अगर यह निर्दोष मार्ग था, तो कानून का कोई उल्लंघन नहीं है, लेकिन अगर 7वें बेड़े के बयान को देखें, तो यह पैसेज एक्सरसाइज की तरह लगता है.’ एक पैसेज एक्सरसाइज के तहत अगर एक विदेशी जहाज किसी देश के जलमार्ग से गुजरता है, तो वह देश भी इस प्रक्रिया में उसके साथ जाता है. हालांकि, ऐसा इस मामले में नहीं हुआ.
खास बात है कि हाल ही में दोनों देशों ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के खतर से निपटने के लिए करीब से रहकर साथ काम करने के संकेत दिए थे. ऐसे में इस घटनाक्रम ने जानकारों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. कुछ ही दिनों पहले क्वाड बैठक आयोजित की गई थी. इसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हुए थे. वहीं, हाल ही में क्वाड सदस्यों ने फ्रांस को भी हिंद महासागर में जारी इस मामले में शामिल कर लिया है. यह जाहिर तौर पर बीजिंग के लिए एक संदेश है.