कोरोना के खिलाफ लड़ाई के बीच रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी से जुड़े लोगों की जमानत मिल जाने से छत्तीसगढ़ सरकार दबाव में आ गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखकर जरूरी दवाओं को आवश्यक वस्तु अधिनियम (ECA) के तहत अधिसूचित करने की मांग की है, ताकि जमाखाेरी और कालाबाजारी कर रहे लोगों को सख्त सजा दिलाई जा सके।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लिखा, केंद्र सरकार पहले भी एन-95 मास्क, सैनिटाइजर आदि को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत अधिसूचित कर चुकी है। इस कदम से देश भर में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में आसानी हुई। प्रदेश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण की वजह से मरीजों के उपचार में रेमडेसिविर इंजेक्शन, आइवर मेक्टिन टेबलेट, टोसीलीजुमब इंजेक्शन, फेविपिरावीर कैप्सूल, एनोक्सापारिन इंजेक्शन और डेक्सामेथासोन टैबलेट एवम इंजेक्शन जैसी दवाओं की मांग बढ़ गई है।
इसकी वजह से इन दवाओं की जमाखोरी और कालाबाजारी की शिकायत भी मिल रही है। जमाखोरी की वजह से मरीजों को दवा मिलने में भी दिक्कत हो रही है। मुख्यमंत्री ने लिखा, इन दवाओं के अधिसूचित हो जाने से प्रशासन को कालाबाजारी और जमाखोरी रोकने में सहायता मिलेगी। मुख्यमंत्री ने इसे तत्काल अधिसूचित करने की मांग की है।
यहां छूट जा रहे हैं कालाबाजारी
छत्तीसगढ़ में रेमडेसिविर और दूसरी दवाओं की कालाबाजारी को रोकने का कोई कानून नहीं है। पुलिस, दंड संहिता की धारा 151 के तहत कालाबाजारियों को पकड़ रही है। यह धारा पुलिस को अपराध होने की संभावना रोकने के लिए किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी का अधिकार देती है। लेकिन इसका प्रभाव सीमित है। SDM कोर्ट से उन्हें जमानत मिल जाती है।
आवश्यक वस्तु अधिनियम में 7 साल की सजा
संसद के बनाए आवश्यक वस्तु अधिनियम में खाद्य, औषधि और जरूरी चीजों की जमाखोरी, कालाबाजारी और मिलावटखोरी को रोकने का प्रावधान है। अगर आवश्यक दवाओं को इस कानून के तहत अधिसूचित किया जाता है तो पुलिस को कार्रवाई में आसानी होगी। अपराधियों को आसानी से जमानत नहीं मिलेगी और अपराध सिद्ध होने पर सात साल की जेल भी हो सकती है।