छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में अप्रैल महीने के पहले हफ्ते की 6 तारीख से लगातार लॉकडाउन लगा है, जिससे सब्जी उत्पादक किसानों की हालत खराब हो गई। स्थानीय सब्जी मंडियां बंद हैं। जिले की सीमाएं सील होने की वजह से दूसरे राज्यों से आने वाले खरीदार पहुंच नहीं पा रहे हैं। इसलिए सब्जियां जो दूसरे राज्यों में भेजी जाती, वह इन दिनों बेकार हो रही है। जिले में 1,04,522 एकड़ में सब्जी की फसल लगाई गई है। इसमें 7,68,137 मीट्रिक टन उत्पादन सालाना होता है।
टमाटर का सबसे ज्यादा उत्पादन
जिले में सबसे ज्यादा टमाटर का उत्पादन होता है। टमाटर का सालाना उत्पादन करीब 1,90,140 टन होता है। उसके बाद बैगन का उत्पादन 1,10,470 टन है। फूलगोभी का उत्पादन 66,548 और बंद गोभी का उत्पादन 66,548 टन है। करेला 18,844, कुंदरू 4,427 टन और भिंडी 22,707 टन है। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि किसान अपने टमाटरों को फेकने तक के लिए मजबूर हो रहे हैं। साथ ही टमाटर की फसल खेतों में ही सड़ने लगी है।
गुरुर ब्लॉक के किसान डिकेश्वर साहू बताते हैं कि उनके खेतो में लगे टमाटर की फसल खराब होनी शुरू हो गई, जिससे उनका काफी नुकसान हो रहा है। पहले वे अपने टमाटर की फसल को दुर्ग, राजनांदगांव, कांकेर, धमतरी सहित अन्य जिलों में बेचने भेजते थे। लेकिन जिलों की सीमाएं सील होने के चलते जा नहीं पा रहे हैं।
केले की फसल भी हो रही खराब
दुर्ग के कोटनी, बोरई, नगपुरा, चिखली बोरई समेत अन्य क्षेत्रों में सबसे अधिक केले का उत्पादन होता है। इस बार 4735 एकड़ में केले की फसल है। सालाना 5396 मीट्रिक टन केला उत्पादन होता है। नगपुरा के किसान पंकज, बोरई गांव के किसान सोलंकी बताते हैं कि बाड़ियों में केले धूप के कारण खराब होकर गिर रहे हैं। केले की सबसे ज्यादा खपत दुर्ग भिलाई मंडी में है, लेकिन यह बंद है। उत्तर प्रदेश और बिहार भी केला भेजते थे।
रोजाना 1204 टन सब्जियां हो रही खराब
जिले में सब्जियों का सालाना उत्पादन 7,68,137 टन है। इस हिसाब से महीने में सब्जी उत्पादन 64,011 मीट्रिक है। हर दिन की औसतन सब्जी उत्पादन 2134 टन है। वहीं दुर्ग भिलाई की थोक सब्जी मंडी में रोजाना की औसत खपत 930 टन की है। इन मंडियों से ही फुटकर विक्रेताओं को सब्जी मिलती है। इस हिसाब से रोजाना औसतन 1204 टन सब्जियों को बाजार नहीं मिल पा रहा, जो खराब हो रही है।
आर्थिक संकट के बादल
किसानों पर आर्थिक संकट की मार भी पड़नी शुरु हो गई है। जब फसल तैयार हुई तो लॉकडाउन लग गया। सब्जी उत्पादक किसान डिकेश्वर साहू बताते हैं कि लॉकडाउन से पहले टमाटर व अन्य सब्जियां खेतो से टूटकर सीधे मंडी में जाती थी। मंडी के माध्यम से ही सभी बिक जाती थी। लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद टमाटर तो खेतों में ही सड़ रहा है। बैंगन, कलिंदर, पपीता और कद्दू भी खराब हो रहा है। सबसे बड़ी परेशानी खेतों में काम करने वाले मजदूरों को लेकर हो रही है। हम उनका मेहनताना नहीं दे पा रहे है। अब तो मुश्किल यह हो रही है कि जितनी लागत फसलों को पैदा करने में लगाई गई थी, वो भी नहीं निकल पा रही है।