भारत में सरकार ने गरीबों को घरेलू गैस देने के लिए कई योजनाएं चला रखी है, लेकिन उन्हें संपन्न परिवारों की तुलना में एलपीजी पर दोगुना कम सब्सिडी मिलती है। यह जानकारी इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (IISD) की ताजा रिपोर्ट में सामने आई है।
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के साथ संयुक्त रूप से तैयार इस रिपोर्ट में भारत में एलपीजी सब्सिडी पर अध्ययन किया गया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसका लाभ मिले। लेकिन यह पाया गया कि गरीबों को सब्सिडी का फायदा कम मिल रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, जब केंद्र की सभी ऊर्जा सब्सिडी का करीब 28% एलपीजी सब्सिडी में शामिल था। तब झारखंड के सबसे गरीब 40% परिवारों को 2019 में 30% से कम सब्सिडी मिली। मई 2020 में सरकार ने सब्सिडी रोक दी, तो सिलेंडर के दाम घटे। पर हाल ही में, ये कीमतें मई 2020 के 594 रुपए से बढ़कर मार्च 2021 में 819 रुपए हो गई हैं, जिससे लाखों लोग खाना पकाने के ईंधन का खर्च उठाने से जूझ रहे हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गरीब परिवारों में सब्सिडी वाले सालाना औसतन सिर्फ 5.6 सिलेंडर की खपत होती है, जो 12 सिलेंडर की तय सीमा से आधी है। ऐसे में जब तक वे खपत नहीं बढ़ाते, सरकार सब्सिडी वाले सिलेंडर की सीमा 12 से घटाकर 9 करने पर विचार कर सकती है। रिपोर्ट की लेखक श्रुति शर्मा ने कहा कि गरीब परिवारों को सब्सिडी की जरूरत है। सरकार अगर इसे दोबारा लागू करती है, तो पुरानी गलतियों को दोहराने से बचना चाहिए।
संपन्न घरों में सब्सिडी वाले सिलेंडरों की ज्यादा खपत
विशेषज्ञों के मुताबिक, सब्सिडी में सुधार में मुख्य अड़चन संपन्न घरों में सब्सिडी वाले सिलेंडरों की अधिक खपत है। इसलिए उन्हें सब्सिडी भी ज्यादा मिलती है। वहीं ग्रामीण परिवारों में एलपीजी की बजाय लकड़ी और बायोमास आधारित ईंधन का इस्तेमाल ज्यादा है।