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इस एयरलाइन ने सीनियर कर्मचारियों की सैलरी में की 50 फीसदी कटाैती, ट्रांसपोर्ट सेक्टर का भी बुरा हाल

कोरोना (corona) के चलते एक बार फिर देश में पिछले साल जैसे हालात बनना शुरू हो गए है. बल्कि इस बार इसे कोरोना की सुनामी कहा जा रहा है जिससे बड़े पैमाने न सिर्फ लोग बल्कि फिर से अर्थव्यवस्था पर चोट पहुंच रही है. जमीन से लेकर हवा तक सब प्रभावित है. इसे कोरोना का ही प्रभाव कहेंगे कि एक बड़ी एयरलाइन्स (Airline) ने अपने सीनियर स्टाफ की सैलरी में 50 फ़ीसदी कटौती कर दी है. बात हो रही है स्पाइसजेट की. एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के अनुसार कोरोना वायरस के संकट की चपेट में एयरलाइन कंपनियां भी आ गईं हैं. एविएशन सेक्टर की कंपनी स्पाइसजेट (SpiceJet) ने कोरोना वायरस महामारी के चलते अप्रैल महीने की सैलरी में 50 फीसदी की कटौती कर दी है.

बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी खबर के मुताबिक, एयरलाइन के चेयरमैन अजय सिंह (Ajay Singh) अप्रैल महीने की पूरी सैलरी नहीं लेंगे. क्योंकि कंपनी ने अपने कर्मचारियों से वादा किया है कि हालात में सुधार होने के बाद रुका हुआ वेतन पूरी तरह से दे दिया जाएगा. 

जूनियर कर्मचारियों की सैलरी में कोई कटौती नहीं

हालांकि लोडर्स, ड्राइवरों समेत जूनियर कर्मचारियों की सैलरी में कोई कटौती नहीं की गई है. इसके अलावा ग्रउंड स्टाफ, केबिन क्री, कमर्शियल स्टाफ और पॉयलट की सैलरी में 10-50 फीसदी की कटौती की गई है.  हाई पे ग्रेड वालों की सैलरी में 10 फीसदी से 50 फीसदी के बीच कटौती की गई है. इस आर्थिक संकट से निपटने के लिए अस्थाई तौर पर यह उपाय करना पड़ा है. हालात में सुधार होने बाद रुका हुआ वेतन सबको पूरा दिया जाएगा. 

तीन लाख से 1.30 रह गई यात्रियों की संख्या

स्पाइसजेट के वाइस प्रेसीडेंट (Vice President – Operations), गुरुचरण अरोड़ा (Gurcharan Arora) पायलटों को लिखे पत्र में कहा है कि सभी एयरलाइनों में फरवरी 2021 तक 300,000 से अधिक रोजाना डोमेस्टिक पैसेंजर थे. अब यह संख्या घटकर 1.30 लाख यात्री से भी कम हो गई है. ऐसे में कंपनी को बड़ा नुकसान हो रहा है.

ट्रांसपोर्ट सेक्टर भी है बुरी तरह से प्रभावित 

एक तरफ जहां एयरलाइन्स की हालत खराब हो रही है तो वही ट्रांसपोर्ट सेक्टर कैसे इससे अछूता रह सकता है. हाल ही में ऑल इंडिया माेटर ट्रांसपाेर्ट कांग्रेस (All India Motor Transport Congress )की काेर कमेटी के सदस्य बी.मलकीत सिंह (Bal Malkit Singh) ने बताया था कि तमाम प्रतिबंधाें की वजह से ट्रांसपाेर्ट सेक्टर काे हर दिन करीब 315 कराेड़ रुपये का नुकसान हाे रहा है. देश में ट्रकाें की मांग में 50 प्रतिशत तक की गिरावट आ गई है. ऐसा इसलिए क्याेंकि वर्तमान में सिर्फ अनिवार्य चीजाें की ही ढुलाई हाे रही है. जिमसें मेडिकल गुड्स, ऑक्सीजन सिलेंडर, दवाईयां, पीपीई किट्स, फ्रुट्स के लिए ट्रकाें का इस्तेमाल हाे रहा है. जबकि बाकि सेवाओं में लगने वाले ट्रक खड़े हुए है. वे कहते है कि ट्रांसपाेर्ट सेक्टर अभी 2020 के लॉकडाउन से हुए नुकसान से उबर भी नहीं पाया था कि अब दाेबारा वहीं संकट ट्रक चालकाें और ट्रांसपाेर्टराें के सामने आ गया है. देश में करीब 57 फीसदी हिस्सें में प्रतिबंध का असर है.

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