सुप्रीम कोर्ट द्वारा महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण रद्द करने के बाद 16 मई से बीड में मराठा आंदोलन की शुरुआत होने वाली थी। स्थानीय विधायक और शिव संग्राम पार्टी के प्रमुख विनायक मेटे इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। हालांकि, राज्य में कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए फिलहाल उनकी ओर से इस प्रोटेस्ट को 4 जून तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। विधायक मेटे ने कहा कि अब 5 जून को फिर से मराठा समुदाय से जुड़े लोग बीड में जमा होंगे और प्रदर्शन करेंगे।
प्रदर्शन को स्थगित करने की जानकारी देते हुए मेटे ने कहा कि पत्र लिखकर और हाथ जोड़कर आरक्षण प्राप्त नहीं किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा, ‘राज्य की महाविकास अघाड़ी सरकार के मन में पाप है। उन्हें मराठा समुदाय को आरक्षण नहीं देना है। मराठा आरक्षण रद्द करने के लिए अशोक चव्हाण के साथ-साथ मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी उतने ही जिम्मेदार हैं। आरक्षण के लिए कानूनी प्रयासों की आवश्यकता है।’
मेटे ने यह भी कहा कि वह 18 मई को राज्य भर के तहसीलदारों को बयान देंगे और 5 जून को अगर लॉकडाउन भी रहा उसके बाद भी प्रोटेस्ट करेंगे।
राज्य सरकार की जवाबदेही
अगर केंद्र सब कुछ करना चाहे तो आप क्या करेंगे ? मेटे का सवाल है कि ये सब लोग मराठा आरक्षण की बात कर रहे हैं। यह एक लंबे समय बाद आना हुआ है। याचिका राज्य सरकार द्वारा दायर की जानी थी, लेकिन उन्होंने केवल इसकी आलोचना की है। मेटे ने कहा कि हम इस संबंध में जल्द ही राज्यपाल से मिलेंगे और हम राज्यपाल से एक बयान के साथ मिलेंगे कि आप गठबंधन सरकार से जवाब मांगें और उन्हें एक समझ दें। हम देवेंद्र फड़णवीस से अनुरोध कर राष्ट्रपति से भी मिलने वाले हैं।
लॉकडाउन रहा तो भी होगा आंदोलन
मेटे ने कहा, ‘मराठा समुदाय में असंतोष को दबाने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है। हालांकि, हम 5 जून के बाद एक मोर्चा निकालेंगे, भले ही लॉकडाउन हो। साथ ही हम मंत्रियों के वाहनों को रोकने की अपील करेंगे। उस दिन राज्य में विधायकों, सांसदों, मंत्रियों को घूमने की इजाजत नहीं होगी।
मेटे ने अशोक चव्हाण पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने संशोधन के बारे में लोगों में भ्रम पैदा किया था।