जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. दरअसल चुनाव ड्यूटी पर तैनात अर्द्धसैनिक बल (Paramilitary Forces) के 6 हजार जवानों की जब से वापसी हुई है तब से ही कश्मीर (Kashmir) में अफवाहों का बाजार गर्म हो गया है. लोगों के बीच केंद्र शासित प्रदेश (Union Territories) के पुनर्विभाजन से लेकर जिलों के पुनर्गठन (Reorganization of Districts) को लेकर बात की जा रही है. वहीं ऐसा अनुमान भी लगाया जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में जल्द ही चुनाव कराए जा सकते हैं.
कश्मीर में 6 हजार सैनिकों की वापसी को लेकर नेताओं के मन में भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. पीपुल्स कांग्रेस प्रमुख स सज्जाद लोन ने इस मसले पर ट्वीट करते हुए कहा, ‘अर्द्धसैनिक बलों की 60 कंपनियों के यहां वापस लौटने के बाद से अफवाहों का बाजार काफी गरम हो गया है.’ हालांकि यहां पर ध्यान देने वाली बात ये है कि जिन सैनिकों की वापसी हुई है उन्हें पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में हुए विधानसभा चुनावों की सुरक्षा के लिए लगाया गया था. ये सैनिक 5 अगस्त 2019 से कश्मीर में तैनात थे, जब जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीनकर उसे दो केंद्रशासित प्रदेश में बांट दिया गया था.
जम्मू क्षेत्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मुकेश सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में कोई अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती नहीं की गई है. हालांकि उनके ट्वीट को लोगों ने तवज्जो नहीं दी. इस दौरान सोशल मीडिया पर जम्मू-कश्मीर के पुनर्विभाजन को लेकर अफवाहों का बाजार गरम हो गया. इस दौरान इस तरह की खबरें भी सामने आईं जिसमें कहा गया कि जम्मू को राज्य का दर्जा मिलेगा जबकि कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र रहेगा.
जम्मू क्षेत्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मुकेश सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में कोई अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती नहीं की गई है. हालांकि उनके ट्वीट को लोगों ने तवज्जो नहीं दी. इस दौरान सोशल मीडिया पर जम्मू-कश्मीर के पुनर्विभाजन को लेकर अफवाहों का बाजार गरम हो गया. इस दौरान इस तरह की खबरें भी सामने आईं जिसमें कहा गया कि जम्मू को राज्य का दर्जा मिलेगा जबकि कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र रहेगा.