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LOC पर पाक की खामोशी की असली वजह क्या है? अंदरखाने आतंक को दे रहा है बढ़ावा

इस वक्त पूरी दुनिया कोरोना महामारी (Covid-19 Pandemic) से जूझ रही है. भारत भी कोरोना की दूसरी लहर को काबू करने में जुटा है लेकिन उसके दो पड़ोसी चीन (China) और पाकिस्तान (Pakistan) कुछ और ही उधेड़बुन में लगे हैं. पाकिस्तान भले ही FATF की बैठक से पहले अपने को कागज में पाक-साफ दिखाने की पूरी कोशिश कर रहा हो लेकिन सच्चाई ये है कि उसकी आतंक की नीति में जमीन पर कोई बदलाव नही आया. घाटी में आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान में बैठे सरगनाओं ने ज्यादा से ज्यादा कश्मीरी युवाओ को अतंकी संगठनों मे शामिल करने का फ़रमान जारी किया.

अगर आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल एक मई तक कुल 38 कश्मीरी युवाओं ने आतंकी संगठनों को ज्वाइन किया जबकि पिछले साल मई महीने तक ये संख्या 49 थी. पिछले दो साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2020 में 166 और 2019 में 119 कश्मीरी युवाओं ने आतंकी संगठन ज्वाइन किया.

आखिर इतने लोग हर साल आतंकी संगठनों में क्यों जा रहे हैं?

बड़ा सवाल ये है कि आखिर इतने लोग हर साल आतंकी संगठनों में क्यों जा रहे हैं? दरअसल उसकी वजह है भारतीय सेना द्वारा घाटी मे चलाया जा रहा ऑपरेशन ऑल आउट. इसमें न सिर्फ आतंकी संगठनों के कमांडरो को ढेर किया जा चुका है बल्कि ओवर ग्राउंड वर्करों पर भी ऐसा शिकंजा कसा गया कि वो अपनी कार्रवाई को अंजाम ही नहीं दे पा रहे हैं. तो सुरक्षा बल किसी भी आतंकी को पनपने ही नहीं दे रहे. ताबड़तोड़ एंकाउंटर जारी है. ज्यादातर नए आतंकियों को बंदूक उठाने के महज 2 से 3 महीने के भीतर ही ढेर कर दिया जाता है.

 एक जून तक सुरक्षा बलों ने 48 आतंकियों का एंकाउंटर

अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो इस साल एक जून तक सुरक्षा बलों ने 48 आतंकियों को एंकाउंटर में मार गिराया. पिछले साल जून की पहली तारीख तक 60 आतंकियो को सुरक्षाबलों ने एंकाउंटर में ढेर किया. अगर अप्रैल तक के आंकड़ों को जिलेवार देखें तो सबसे ज्यादा 23 आतंकियों को शोपियां में मार गिराया गया. वहीं पुलवामा में 13, कुलगाम और अनन्तनाग में 8-8 को ढेर किया गया. मारे गए आतंकियों में सबसे ज्यादा हिजबुल मुजाहिदीन के 16, लश्कर के 11, जैश के 3, अल बद्र के 9, अंसार गजावत उल हिंद के 4 और 4 आतंकी संगठन के आतंकियो के ढेर किया गया.

और अभी सुरक्षा बलों की कार्रवाई लगातार जारी है. 2020 में 221 आतंकियों को सुरक्षाबलों ने घाटी में मुठभेड़ में ढेर किया था तो साल 2019 में मारे गए आतंकियों की संख्या 158 थी. बहरहाल भारत और पाकिस्तान के बीच एलओसी पर सीजफायर की सहमति के बाद पिछले 100 दिनों में पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर की एक भी घटना नहीं हुई है. इसे देखकर ये समझना गलत होगा की पाकिस्तान सुधर गया है. जानकारों का मानना है कि एफएटीएफ की इसी महीने होने वाली बैठक तक ही पाकिस्तान एलओसी पर थोड़ा सा खामोश दिख रहा है लेकिन अंदरखाने उसकी शैतानी चालें जारी हैं. हो सकता है कि एफएटीएफ की बैठक के बाद ही पाकिस्तान का असली चेहरा सामने आएगा.

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