दिल्ली पुलिस ने चीन स्थित प्रतिष्ठानों द्वारा भारत में ऐप के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग जैसे अब तक के सबसे बड़े वित्तीय फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने इस मामले में दो सीए, एक तिब्बती महिला और आठ अन्य को गिरफ्तार किया है. पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने बताया कि लगभग पांच लाख भारतीयों को ‘इन्वेस्टमेंट’ के नाम पर चीनियों ने चूना लगाया है, साथ ही ‘तुरंत कमाई’ टाइप के मोबाइल ऐप के जरिए भारतीयों के संवेदनशील डाटा को भी हासिल किया है. पुलिस ने बताया ने मल्टी लेवल मार्केटिंग अभियान के जरिए चीनियों ने दो महीने के भीतर 150 करोड़ रुपये का गबन किया है.
पुलिस के मुताबिक 11 करोड़ रुपये देश के कई बैंकों और पेमेंट
गेटअवे में ब्लॉक किए गए हैं, इसके साथ ही गुरुग्राम स्थित एक सीए से पुलिस ने 97 लाख कैश बरामद किया है, जिसने चीनी जालसाजों को 110 से ज्यादा कंपनियां बनाने में मदद की है. पुलिस ने कहा, “ये लोग इन्वेस्टमेंट पर बेहतरीन रिटर्न का लालच देकर लोगों को अपने जाल में फंसाते थे. जैसे 24 से 35 दिन में निवेश की गई रकम को दोगुना कर देना. ये लोग ऐसी स्कीम चलाते थे, जिसमें घंटों और दिन के हिसाब से रिटर्न मिलता था. एक व्यक्ति 300 रुपये से लेकर कई लाख तक निवेश कर सकता था. इनमें से एक ऐप था पावर बैंक और दूसरा हाल में गूगल प्ले स्टोर पर नंबर 4 पर ट्रेंड कर रहा था.”
पुलिस ने बताया कैसे हुआ भंडाफोड़
ऑपरेशन के बारे में बताते हुए डीसीपी अन्येश रॉय ने कहा कि साइबर क्राइम सेल ने पाया कि सोशल मीडिया पर लोगों के कई पोस्ट पावर बैंक और ईजेडप्लान के बारे में थे. डीसीपी ने कहा, “एसीपी आदित्य गौतम ने लैब में इन ऐप्स के बारे में रिसर्च की. EZPlan एक वेबसाइट के जरिए उपलब्ध था, जबकि Power Bank को बेंगलुरु स्थित टेक्नोलॉजी स्टार्टअप बताया गया था, जोकि क्विक चार्जिंग टेक्नोलॉजी पर काम करता है. लेकिन ये सबकुछ लोगों को झांसा देने के लिए था. इन दोनों ऐप्स के सर्वर चेक किए गए तो सर्वर चीन स्थित पाया गया.”
शुरू में मिलता था 5 से 10 फीसदी रिटर्न
इन ऐप्स के जरिए लोगों से कैमरा, फोन नंबर लिस्ट के लिए एक्सेस मांगी जाती थी, साथ ही एक्सटर्नल स्टोरेज के लिए रीड एंड राइट की एक्सेस मांगी जाती. ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने और उन्हें निवेश के लिए उकसाने खातिर उनके निवेश पर शुरू में 5 से 10 प्रतिशत का रिटर्न दिया जाता था. पुलिस ने बताया कि लोगों को लगता था कि स्कीम असली है. वे निवेश करना शुरू कर देते थे. साथ ही ऐप को अपने परिवार और दोस्तों के साथ शेयर करते थे. एक बार किसी व्यक्ति ने बड़ी रकम लगा दी तो अकाउंट तुरंत ब्लॉक हो जाता था और लोगों के पैसे डूब जाते.
फंसाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल
जब पुलिस से पूछा गया कि चीनी जालसाज लोगों को अपने जाल में फंसाते कैसे थे, तो पुलिस ने बताया कि चीनी जालसाज व्हाट्स ऐप और टेलीग्राम चैनल के जरिए रैंडम तरीके से कॉल करते थे और दिलचस्पी लेने वाले लोगों को फेक बैंक अकाउंट के जरिए हायर करते थे. फर्जी शेल कंपनियां बनाते थे और ऐप को सर्कुलेट करने के साथ पेमेंट करते थे, इसके साथ ही मनी ट्रांसफर भी करते थे.
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बड़ी संख्या में जालसाजों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले ऐप में पावर बैंक, ईजेडक्वॉइन, सन फैक्ट्री, लाइटनिंग पावर बैंक शामिल हैं. इनमें से बहुत सारे ऐप गूगल प्ले स्टोर पर भी लिस्टेड हैं. पुलिस ने कहा कि इन सारे ऐप को यूट्यूब चैनल, टेलीग्राम चैनल और व्हाट्स ऐप चैट के जरिए प्रमोट किया जाता था. एक बार यूजर ने ऐप को रजिस्टर कर लिया फिर उसे बार बार हाई रिटर्न के लिए पैसा इन्वेस्ट करने को कहा जाता था.