मध्यप्रदेश

सिक्के से रेड करते थे सिग्नल, लूटपाट कर भाग जाते थे; फास्टैग की वजह से पकड़ाए, 4 राज्यों में 6 वारदातें कबूलीं

आधी रात को एक्सप्रेस ट्रेन में चोरी और लूट करने वाले गिरोह का इंदौर GRP ने पर्दाफाश किया है। पुलिस ने मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपी गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान की लंबी दूरी ट्रेनों में लूट करते थे। आरोपियों के पास से आधा किलो सोना और लूट का अन्य सामान मिला है। पूछताछ में पता चला कि आरोपी 5 रुपए के सिक्के की मदद से ट्रेन को रोक कर वारदात को अंजाम देते थे।

GRP ASP राकेश खाका के अनुसार, आरोपी सिर्फ लंबी दूरी और दक्षिण भारत की ओर चलने वाली ट्रेनों को ही निशाना बनाते थे। ASP के अनुसार हर रेलवे क्रॉसिंग पर बने रेल के पटरी के बीच बैरिकेड्स बना होता है। यहां लोहे की रॉड या 5 रुपए का सिक्का डालने से सिग्नल RED हो जाता है। हाईवे के समीप जहां रेलवे क्रॉसिंग पर गार्ड या कर्मचारी नहीं होता। बदमाश वहां ट्रेन आने से पहले पहुंच जाते थे। इसके बाद सिग्नल रेड कर गाड़ी में चढ़ जाते थे। जब तक सिग्नल ग्रीन होता, उससे पहले वारदात कर भाग जाते थे।

नीचे दिखाए गए फोटो में जो रेलवे पटरी के पास ब्लॉक लगे हैं। यहां कोई भी रॉड या सिक्का डालते ही सिग्नल रेड हो जाएगा। खास बात यह है कि यह जानकारी केवल रेलवे के तकनीकी व्यक्ति को ही होती है। आरोपियों ने अब तक माउंटआबू ,भरूच, वापी, औरंगाबाद, मक्सी और कोटा में वारदातें की हैं।

ऐसे वारदात को अंजाम देते थे आरोपी
रेलवे स्टेशन के पहले ट्रैक पर एक सर्किट होता है जिसे ट्रैक सर्किट कहते हैं। यह सिग्नलिंग के लिए होता है। इसे इसलिए बनाया जाता है कि जब ट्रेन पटरी से गुजरती है, तो ऑटोमैटिकली स्टेशन पर लगा सिग्नल ग्रीन हो जाएगा। इससे ट्रेन ड्राइवर को हरी झंडी मिल जाएगी, लेकिन जब सर्किट में कोई फॉल्ट होगा, तो यह सिग्नल रेड हो जाएगा, जिससे ड्राइवर ट्रेन को स्टेशन के पहले रोक देगा। स्टेशन मास्टर काे भी लगेगा कि ट्रैक पर कोई फॉल्ट आ गया है। इसके बाद इसे सुधारने का कार्य किया जाता है। इसमें 15 से 20 मिनट लग जाते हैं।

लुटेरे इसी ट्रैक सर्किट में 5 रुपए का सिक्का फंसाते थे, जिससे स्टेशन पर लगा सिग्नल रेड हो जाता था। ट्रेन ड्राइवर स्टेशन के पहले ही ट्रेन को रोक देता था। इसी दौरान बदमाश ट्रेन में सवार होकर वारदात को अंजाम देकर भाग जाते थे।

ऐसे पकड़े गए आरोपी
रेलवे के आउटर में सिलसिलेवार हो रही वारदातों के बाद GRP को घटनास्थल के आसपास कुछ चार पहिया गाड़ी होने के सबूत मिले। GRP पुलिस द्वारा कई टोल नाकों के CCTV फुटेज खंगाले गए। इसमें कार का नंबर HR 20 A 2288 दिखा। गाड़ी टोल नाके से फास्टैग स्टीकर लगे होने के कारण तेजी से निकली इसलिए उसमें बैठे व्यक्ति का चेहरा किसी ने नहीं देखा।

फास्टैग का निकाला ट्रैक रिकॉर्ड
घटना के आसपास जिस कार की संभावना थी, वह हर वारदात के आसपास और राजस्थान, गुजरात, औरंगाबाद वाली घटनाओं के दिन भी प्रदेश के अंदर अलग-अलग टोल नाकों से गुजरी थी। इस सूचना पर शक गहरा गया। फास्टैग के माध्यम से रेलवे पुलिस ने उस व्यक्ति का मोबाइल नंबर ट्रैक किया, जिस नंबर पर फास्टैग रजिस्टर्ड था। फास्टैग का रजिस्ट्रेशन दीपक नाम के व्यक्ति का मिला, उसका नंबर फतेहाबाद हरियाणा का था। घटना में आरोपी दीपक गाड़ी को चलाता था। वहीं, बाकी साथी, सोनी वाल्मीकि, राहुल वाल्मीकि और छोटू ट्रेनों में चढ़ कर वारदात को अंजाम देते थे। सभी को टोहाना हरियाणा से गिरफ्तार किया गया है।

एक महीने में लूट की 7 वारदातों को दिया अंजाम
जून में बदमाशों ने 7 ट्रेनों में वारदातें की हैं। इनमें 18 जून को बीकानेर-दादर रणपुर एक्सप्रेस में आबू के पास, 19 जून को अवंतिका एक्स. व अजमेर-मैसूर एक्स. में भरुच (गुजरात) के पास, 20 जून को बांद्रा-भुज एक्स. में वापी (गुजरात) के पास, 25 जून को पोरबंदर-हावड़ा एक्स. नंदुरबार (महाराष्ट्र) के पास, 26 जून को मध्य प्रदेश के मक्सी के पास जयपुर-हैदराबाद एक्सप्रेस तथा 27 जून को जयपुर-सिकंदराबाद एक्सप्रेस में कोटा के पास लूट की वारदातें शामिल हैं।

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