ताइवान को लेकर चीन (China) के साथ जंग के मंडराते खतरे को देखते हुए अमेरिका और जापान (America And Japan) एक गुप्त युद्धाभ्यास और सैन्य अभ्यास कर रहे हैं. यह अभ्यास ऐसे समय पर हो रहा है कि जब चीन के आक्रामक व्यवहार को लेकर पूरे इलाके में चिंता बढ़ी हुई है. अमेरिका और जापान के सैन्य अधिकारियों ने ट्रंप प्रशासन के अंतिम साल में चीन के साथ संभावित संघर्ष को लेकर गंभीरतापूर्वक योजना बनानी शुरू कर दी थी. ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स ने इस सैन्य अभ्यास से जुडे़ सूत्रों के हवाले से कहा कि यह सीक्रेट अभ्यास दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में चल रहा है. वर्ष 2019 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने चीन की ओर से ताइवान और सेनकाकू द्वीप समूह को लेकर बढ़ते खतरे को देखते हुए सैन्य प्लानिंग को व्यापक रूप देने का फैसला किया था.
चीन के खिलाफ सैन्य तैयारी का यह सिलसिला दोनों देशों में नेतृत्व में बदलाव के बाद भी जारी है. अमेरिका और जापान की टेंशन उस समय बढ़ गई जब चीन ने बड़े पैमाने पर अपने फाइटर जेट और बॉम्बर को ताइवान के एयर डिफेंस आइडेंटीफिकेशन जोन में भेज दिया. गत 15 जून को चीन के 28 फाइटर जेट ताइवान के क्षेत्र में घुस गए थे. यही नहीं चीनी नौसेना, एयरफोर्स और कोस्ट गार्ड भी इन दिनों जापान के सेनकाकू द्वीप समूह के पास काफी सक्रिय हो गए हैं.
इस द्वीप पर चीन और ताइवान दावा करते हैं लेकिन इसका प्रशासन जापान के पास है. चीन लगातार जोर देकर कहता रहा है कि वह ताइवान का चीन के साथ एकीकरण चाहता है. चीन ने कहा है कि वह शांतिपूर्ण एकीकरण चाहता है लेकिन उसने ताइवान पर कब्जा करने के लिए ताकत के इस्तेमाल को खारिज नहीं किया है. एक अमेरिकी विशेषज्ञ रैंडी स्चरिवेर कहते हैं कि कई तरीके से चीनी सेना ने अमेरिका और जापान को ताइवान पर नई सोच के लिए साथ ला दिया है.
दरअसल, अमेरिका जापान के साथ मिलकर ज्यादा से ज्यादा संयुक्त सैन्य अभ्यास करना चाहता रहा है लेकिन तोक्यो अब तक इससे परहेज करता रहा है. अब चीन की वजह से यह दुविधा कम हो गई है लेकिन अभी खत्म नहीं हुई है. दोनों देशों में जब रक्षा सहयोग बढ़ने लगा तब जापान ने अमेरिका से कहा कि वह ताइवान को लेकर अपने युद्ध की योजना को साझा करे. हालांकि अमेरिका ऐसा करने से परहेज किया. अब दोनों के बीच एकजुट होकर ताइवान को लेकर युद्ध योजना बन रही है.