देशभर में कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप कुछ कम हुआ है. हालांकि डेल्टा वेरिएंट ने एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है. माना जा रहा है कि कोरोना के डेल्टा वेरिएंट (Coronavirus Third Wave) की वजह से महामारी की तीसरी लहर आ सकती है. कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच एक राहत वाली खबर है. टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में ये संभावना जताई है कि मुंबई में कोरोना की तीसरी लहर नहीं आएगी. इस साल मुंबई शहर में 1 जून तक 80% लोग कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं. ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर के मुंबई में चरम पर पहुंचने की आशंका काफी कम है.
TIFR की एनालिसिस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 के जून तक आर्थिक राजधानी मुंबई में कोरोना की चपेट में 80 फीसदी लोग आ चुके हैं. इनमें 90 प्रतिशत लोग स्लम में रहने वाले हैं, जबकि 70 प्रतिशत लोग इमारतों में रहने वाले हैं. स्टडी में कहा गया है कि ये लोग हर्ड इम्युनिटी के दायरे में हैं. अगर तीसरी लहर आई तो ये दूसरी लहर से ज्यादा खतरनाक नहीं होगी.
बाकी 20 प्रतिशत आबादी का क्या?
रिपोर्ट के मुताबिक, जो लोग पहली वेब में संक्रमित हुए, वे एंटीबॉडी के घटते स्तर के कारण फिर से संक्रमित हो सकते हैं, पर ये, वेरिएंट की बदली चाल और वैक्सीन की स्पीड के साथ इसकी एफ़िशिएंसी या प्रभावकारी होने के पैमाने पर निर्भर करता है. टीआईएफआर स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी एंड कंप्यूटर साइंस के डीन डॉ. संदीप जुनेजा ने कहा कि अगर शहर के 20 प्रतिशत निवासियों को जो अभी तक वायरस के संपर्क में नहीं आए हैं, उन्हें टीका लगाया जाता है, तो इससे पुन: संक्रमण के मामलों पर नजर रखने में मदद मिलेगी.
रिपोर्ट में अन्य कारकों पर भी विचार किया गया है जो निवासियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं, जैसे कि कोविड -19 टीकों की खराब प्रभावशीलता, या शहर को 60 प्रतिशत के स्तर पर खोलना, लोगों का कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन न करना. TIFR की रिपोर्ट में कहा गया है कि उपरोक्त नकारात्मक कारकों के बावजूद, संभावित तीसरी लहर दूसरी लहर से आगे नहीं बढ़ेगी.