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इलेक्ट्रॉनिक रूप में जमानत आदेशों को सीधे जेलों में भेजने पर विचार: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना ने कहा कि हमने कैदी की रिहाई का आदेश दिया था लेकिन अभी तक उनको रिहा नहीं किया, जेल अधिकारी ऑर्डर की प्रमाणित कॉपी अभी नहीं मिली है, यह कुछ ज़्यादा ही हो गया. अटॉर्नी जनरल (Attorney General) केके वेणुगोपाल (kk venugopal) ने कहा कि यह पूरी तरह से गलत है लेकिन ऐसे कई उदाहरण हैं जहां फ़र्ज़ी और गढ़े हुए आदेश दिए गए हैं इसलिए पुलिस को प्रमाणित आदेश की जरूरत थी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम टेक्नोलॉजी के दौर में जी रहे हैं. हम एक प्रणाली पर विचार कर रहे हैं जिसका उद्देश्य कोर्ट के सभी आदेश जेल के संबंधित अधिकारियों को बिना किसी देरी के पहुंचना है. जस्टिस राव ने कहा यह सुरक्षित मार्ग द्वारा न्यायालय के आदेश प्रति भेजने के लिए है. यह सुरक्षा का ख्याल रखेगा. सुप्रीम कोर्ट ने SC के सेक्रेटरी जनरल को निर्देश दिया कि हैं इस योजना को फ्रेम करें और हमारे सामने प्रस्तुत करें. सुप्रीम कोर्ट ने सेक्रेटरी जनरल से सॉलिसिटर तुषार मेहता और एमिकस क्यूरी से भी विचार विमर्श करने को कहा.

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