छत्तीसगढ़

पेगासस मामले पर छत्तीसगढ़ में मचा हुआ है सियासी बवाल, कांग्रेस ने निकाला पैदल मार्च

इस्राइली साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाईवेयर के जरिए फोन हैक कर जासूसी को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है. छत्तीसगढ़ में भी इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने राजनीतिक बवाल मचाया हुआ है. पहले छत्तीसढ़ की पूर्ववर्ती डॉ रमन सिंह की सरकार पर साल 2017 में पेगासस के इस्तेमाल की कोशिशि करने के आरोप के बाद गुरुवार को कांग्रेसियों ने कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन से राजभवन तक कूच किया. इस दौरान पीसीसी चीफ मोहन मरकाम सहित कई सांसद, विधायक और संगठन के नेता मौजूद रहें. राजभवन पहुंचकर कांग्रेसी प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को ज्ञापन सौंप केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पदमुक्त करने सहित सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में न्यायिक जांच कराए जाने की मांग की.

लोगों की निजता से खेल रही है केंद्र की सरकार : मोहन मरकाम

राज्यपाल से मुलाकात के बाद राजभवन से बाहर आए पीसीस चीफ ने न्यूज़ 18 से कहा कि जासूसी के नाम पर लोगों की निजता का हनन केंद्र सरकार कर रही है. इस विशाल लोकतंत्र में लोगों को निजता का अधिकार मिला है. ऐसे में सैकड़ों लोगों की जासूसी कराना संविधान के खिलाफ है. इसलिए कांग्रेस सड़क पर उतर कर प्रदर्शन कर रही है.

रमन सिंह की चुनौती और कांग्रेस का जवाब

पेगासस के छत्तीसगढ़ कनेक्शन पर सूबे के मुखिया भूपेश बघेल ने जांच का ऐलान किया है. मामले को लेकर सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि हमने इसकी जांच शुरू कर दी है. सीएम के ऐलान पर तंज कसते हुए पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह ने ट्विट कर सरकार पर चार साल तक सोने का आरोप लगाकर किसी भी तरह की जांच की खुली चुनौती दी. डॉ रमन सिंह की चुनौती पर पलटवार करते हुए पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने कहा कि अगर रमन सिंह गलत नहीं हैं तो फिर उन्हें डरना नहीं चाहिए. सरकार ने जांच का ऐलान किया है तो जांच तो होगी ही.

रमन सरकार पर क्या है आरोप

छत्तीसगढ़ में सत्ताधारी दल के प्रवक्ता और मुख्यमंत्री के बेहद खास माने जाने वाले आरपी सिंह ने पेगासस को लेकर सबसे पहले सूबे में सियासी बखेड़ा खड़ा कर दिया. आरपी सिंह ने ट्विट कर रमन सरकार पर सीधेतौर पर साल 2017 में पेगासस के इस्तेमाल की कोशिश का खुला आरोप लगाते हुए कहा कि इजराली कंपनी के अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ पुलिस के आला अधिकारियों के सामने प्रजेंटेशन दिया था, मगर डील 60 करोड़ रुपये थी ऐसे में सरकार उस वक्त पीछे हट गई थी.

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