तालिबान ने शनिवार को भारतीय वायु सेना (IAF) के विमान में सवार होने से 70 अफगान सिखों और हिंदुओं के एक जत्थे को रोक दिया है। उन्हें काबुल एयरपोर्ट से वापस भेज दिया गया। इसमें अफगानिस्तान संसद के दो अल्पसंख्यक सदस्य भी शामिल हैं। लड़ाकों ने उन्हें साफ शब्दों में कहा कि वे अफगानी हैं और देश नहीं छोड़ सकते।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विश्व पंजाबी संगठन (WPO) के अध्यक्ष विक्रमजीत सिंह साहनी ने बताया कि भारत लौटने के लिए अफगान सिखों और हिंदुओं का यह पहला जत्था शुक्रवार से 12 घंटे से अधिक समय से हवाई अड्डे के बाहर इंतजार कर रहा था। तालिबान लड़ाकों ने उन्हें IAF के विमान में चढ़ने से रोक दिया और कहा कि चूंकि वे अफगानी हैं, इसलिए वे देश नहीं छोड़ सकते। समूह काबुल स्थित गुरुद्वारे में लौट आया है। साहनी ने कहा, अल्पसंख्यक सांसद नरिंदर सिंह खालसा और अनारकली कौर मानोयार भी इस समूह का हिस्सा थे
काबुल से 85 भारतीयों के एयरलिफ्ट की खबरें, सूत्रों का दावा- आज कोई भारतीय विमान नहीं उड़ा
अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत के बीच राजधानी काबुल के एयरपोर्ट पर अफरातफरी मची है। अमेरिका और भारत समेत सभी देश अपने-अपने नागरिकों को एयरलिफ्ट करने में जुटे हैं। इस बीच मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि काबुल से 85 भारतीयों को लेकर एयरफोर्स के एयरफोर्स के C-130J एयरक्राफ्ट ने आज उड़ान भरी है, लेकिन भास्कर के सूत्रों के मुताबिक आज किसी भी भारतीय विमान ने काबुल से उड़ान नहीं भरी है। हालांकि, बीती रात जरूर कुछ लोगों को तजाकिस्तान की राजधानी दुशान्बे पहुंचाया गया था।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत लगातार अपने नागरिकों को निकालने के लिए सैन्य विमान भेज रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंडियन एयरफोर्स का C130J सुपर हरक्यूलस विमान शनिवार को काबुल पहुंचा। इससे 85 भारतीयों को वापस लाया गया। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इंडियन एयरफोर्स के विमान ने शनिवार को सुबह काबुल से उड़ान भरी। इसके बाद वह ताजिकिस्तान में ईंधन भरवाने के लिए रुका। भारत ने इससे पहले कंधार में अपने दूतावास के स्टाफ को निकाला था, जब तालिबान शहर पर कब्जा करने ही वाला था। इसके पहले एयर इंडिया का एक प्लेन भी काबुल से लोगों को भारत लेकर आया था।
UAE भागे अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाई ने तालिबानियों से हाथ मिलाया
अफगानिस्तान से संयुक्त अरब अमीरात (UAE) भागे राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाई हशमत गनी अहमदजई ने तालिबान के साथ हाथ मिला लिया है। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने आज काबुल में आतंकी खलील हक्कानी से मिलकर तालिबान का दामन थाम लिया। खलील हक्कानी पर अमेरिका ने 50 लाख डॉलर का इनाम रखा हुआ है और वह मोस्ट वांटेड है। खलील हक्कानी, जलालउद्दीन हक्कानी का भाई है। हक्कानी नेटवर्क ने अफगानिस्तान में कई बड़े हमले किए थे और भारतीय हितों को भी निशाना बनाया था।
हशमत गनी तालिबान के वित्तीय मामले संभाल सकते हैं या वित्त विभाग से जुड़ सकते हैं। हशमत गनी पहले से ही तालिबान के संपर्क में हैं। काबुल में जब तालिबान आए थे तो उन्हें सुरक्षा भी मुहैया कराई थी और उनकी लूटी गई रेंजरोवर कार भी लौटाई थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस बारे में लिखा है।