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अफगानिस्‍तान की सरजमीं, 10 लाख करोड़ डॉलर के खजाने का मालिक बना तालिबान

अफगानिस्‍तान (Afghanistan) में तालिबान के लड़ाकों ने लगभग हर जगह कब्‍जा जमा लिया है. इसके साथ ही अब वे अफगानिस्‍तान की हर चीज पर अपने मालिकाना हक का भी दावा कर रहे हैं. इन्‍हीं में शामिल है खरबों डॉलर का वो खजाना, जो हर देश की अर्थव्‍यवस्‍था की नींव होता है. जी हां, तालिबान (Taliban) के हाथ अफगानिस्‍तान में बड़ी खनिज संपदा (Minerals) लगी है. इसकी कीमत दस लाख करोड़ डॉलर (1 Trillion Dollars) से भी अधिक है.

तालिबान पहले से ही आर्थिक बंधन में हैं, क्योंकि उसन अब 20 साल बाद अफगानिस्‍तान की सत्ता हथियाई है. ऐसे में प्रमुख मददगारों ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली अपनी मदद को रोक दिया है. खराब बुनियादी ढांचे और अंतहीन युद्धों के कारण अफगानिस्‍तान अब तक अपने इस खजाने को निकाल नहीं पाया है. यह संपदा उसके आर्थिक भाग्‍य को संवार सकती है.

अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे (यूएसजीएस) की जनवरी की एक रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्‍तान में मौजूद प्राकृतिक खजाने के संसाधनों में बॉक्साइट, तांबा, लौह अयस्क, लीथियम और दुर्लभ वस्‍तुएं शामिल हैं.

कॉपर या तांबे से बिजली के तार बनाए जाते हैं. बिजली के तारों के लिए यह अहम चीज है. इस साल तांबा के दाम ऊंचे आसमान में हैं. इसकी कीमत 10,000 डॉलर प्रति टन से अधिक हो गई हैं. इलेक्ट्रिक कार बैटरी, सोलर पैनल और विंड फार्म बनाने के लिए लीथियम एक महत्वपूर्ण तत्व है. इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के अनुसार 2040 तक दुनिया में लीथियम की मांग 40 गुना बढ़ने की उम्मीद है. ‘द रेयर मेटल्स वॉर’ किताब के लेखक गिलाउम पिट्रोन ने कहा है कि अफगानिस्तान लीथियम के एक विशाल भंडार पर है, जिसको आज तक निकाला नहीं गया है.

अफगानिस्तान में ऐसी दुर्लभ वस्‍तुएं भी पाई जाती हैं, जिनका इस्‍तेमाल स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में किया जाता है. इनमें नियोडिमियम, प्रेजोडियम और डिस्प्रोसियम भी शामिल हैं. यूएसजीएस द्वारा देश की बिना इस्‍तेमाल की गई खनिज संपदा 10 लाख करोड़ डॉलर कीमत के होने का अनुमान है. हालांकि अफगानी अधिकारियों ने इसकी कीमत 3 गुना अधिक रखी है.

अफगानिस्तान ने पन्ना और माणिक जैसे बेशकीमती पत्थरों के साथ-साथ कम कीमती टूमलाइन और लैपिस लाजुली के लिए बेहतर खुदाई की है लेकिन व्यापार पाकिस्तान में अवैध तस्करी से ग्रस्त है. देश तालक, संगमरमर, कोयले और लोहे के लिए भी खदानें करता है.

चीन का निवेश
जबकि तालिबान का इन वस्‍तुओं और खजाने का अधिग्रहण विदेशी निवेशकों को रोक सकता है. हालांकि एक देश जो उनके साथ व्यापार करने को तैयार है, वो चीन है. दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यानी चीन ने कहा है कि तालिबान के काबुल में प्रवेश करने के बाद वह अफगानिस्तान के साथ मैत्रीपूर्ण और सहयोगात्मक संबंध रखने के लिए तैयार है.

चीन की चाइना मेटलर्जिकल ग्रुप कॉर्पोरेशन ने 2007 में विशाल मेस अयनाक तांबा अयस्क जमा को 30 साल के लिए पट्टे पर देने और 11.5 मिलियन टन उपयोगी वस्‍तुएं निकालने का अधिकार हासिल किया.

चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के अनुसार दुनिया के दूसरे सबसे बड़े बिना इस्‍तेमाल किए गए तांबे के भंडार को निकालने की परियोजना ने अभी तक सुरक्षा मुद्दों के कारण संचालन शुरू नहीं किया है. लेकिन ग्लोबल टाइम्स के एक सूत्र का हवाला देते हुए कहा गया है कि यह स्थिति स्थिर होने के बाद इसे फिर से खोलने पर विचार करेगा.

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