भारी राजनीतिक दबाव और अप्रैल-मई में देश में आई कोरोना की दूसरी लहर से बुरी तरह जूझने के चलते केंद्र ने कोवैक्स के अंतर्गत वैक्सीन की सप्लाई रोक दी थी. कोवैक्स डब्ल्यूएचओ और कई विकसित और विकासशील देशों के साथ एक वैश्विक तंत्र है जो कम आय वाले देश जिनकी वैक्सीन उत्पादन तक पहुंच नहीं है के लिए कोरोनावायरस वैक्सीन पहुंचाने का काम करता है. कोवैक्स के तहत भारत में इस्तेमाल के लिए रखी गई 6 करोड़ वैक्सीन अन्य देशों को देने के चलते केंद्र की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना हुई थी.
सूत्रों ने न्यूज18 को बताया कि भारत की ओर से मुख्य तौर पर सीरम इंस्टीट्यूट की ओर से तैयार की गई कोविशील्ड की ये आपूर्ति 2021 के अंत तक भारत की टीकों की जरूरत को ध्यान में रखकर की जाएगी. इस प्रक्रिया के बारे में जानने वाले एक शख्स ने कहा, “भारत को अपनी जरूरतों का ध्यान पहले रखना होगा. जहां कोवैक्स की ओर से दबाव की स्थिति है, भारत संभवत: इस आपूर्ति को तभी फिर से शुरू करेगा जब प्रत्येक वयस्क के लिए उसकी दो खुराकों की घरेलू जरूरतें पूरी हो जाएंगी. दूसरी लहर में भारत को नुकसान हुआ और दुनिया यह समझती है.”
कोवैक्स इस बात की भी जांच कर रहा है कि भारत कब तक वैक्सीन की आपूर्ति शुरू करेगा. सीएनएन न्यूज18 को इस बात की जानकारी मिली है कि वास्तव में ये आपूर्ति इस साल के अंत तक शुरू नहीं होगी इसे लेकर सीरम इंस्टीट्यूट ने एक टाइमलाइन की ओर भी इशारा किया है.
वैक्सीनेशन के मामले में सही रास्ते पर भारत
भारत, प्रारंभिक संदेह के बावजूद, टीकाकरण को लेकर तय किए गए अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए ट्रैक पर दिख रहा है. 7 सितंबर को भारत ने 1 करोड़ से ज्यादा खुराकें लगाईं, ये पिछले 11 दिनों में तीसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है.
अगस्त में कुल 18 करोड़ खुराकें दी गई हैं और आपूर्ति के मुताबिक, सितंबर में भारत का लक्ष्य इसे 24 करोड़ तक पहुंचाने का है और आगे के महीनों में इसे और भी बढ़ाया जाएगा. 70 करोड़ से ज्यादा खुराकें लगाने के बावजूद भारत को वयस्क टीकाकरण को पूरा करने के अपने लक्ष्य के लिए 110 करोड़ खुराकें देनी होंगी और इसके लिए उसे रोजाना एक करोड़ खुराकें लगानी होंगी.
भारतीय टीकाकरण अभियान की सफलता वैश्विक समुदाय के लिए भी गहरी दिलचस्पी की बात होगी जो भारत को जरूरतमंद देशों के लिए कम लागत वाले डोज देने की ओर देख रहा है.