राज्यसभा के चेयरमैन और उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू (Rajyasabha, Rajya Sabha Chairman M Venkaiah Naidu) के निर्देश पर सांसदों की उपस्थिति को लेकर हुए अध्ययन (study) से चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. इसके अनुसार राज्यसभा के 78 फीसदी सांसद हर रोज सदन की बैठकों में आते हैं जबकि सिर्फ 30 फीसदी हर रोज सदन में आते हैं. 2 फीसदी सांसद कभी सदन में नजर नहीं आते हैं. एसआर बालासुब्रमण्यम ने पिछले सात सत्रों में सभी 138 बैठकों में हिस्सा लिया है. सांसदों की उपस्थिति के बारे में ये ताजा आंकड़े राज्यसभा सचिवालय ने एकत्रित किए हैं. अपने ढंग की इस पहली स्टडी में वेंकैया नायडू ने ये जानने की कोशिश की सदन की कारवाई में सांसदों की उपस्थिति का पैटर्न क्या रहता है.
राज्यसभा में सांसदों को हर रोज अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए एक अटेंडेंस रजिस्टर पर साइन करने पड़ते हैं. जबकि राज्यसभा के उप सभापति, केन्द्रीय मंत्री, नेता विपक्ष को ये रजिस्टर साइन करना जरुरी नहीं है. इसलिए लगभग 225 राज्यसभा सांसद हर रोज रजिस्टर पर साइन करते हैं क्योंकि ये सांसदों की सैलरी और अलाउएंस एक्ट के तहत अनिवार्य होता है. इस पर हस्ताक्षर करने के बाद ही सांसदों को उनका 2000 रुपये का दैनिक भत्ता मिलता है.
राज्यसभा सचिवालय ने पाया लंच ब्रेक से पहले दो घंटे में सांसदों की सबसे ज्यादा उपस्थिति
राज्यसभा सचिवालय ने सांसदों की पिछले 7 सत्रों यानि 138 बैठकों में सांसदों की उपस्थिति के आंकड़ों को जांचा और परखा. इसमें राज्यसभा के 248वें सत्र यानि 2019 से लेकर 254वें यानि 2021 के मानसून सत्र तक की उपस्थिति की समीक्षा की गयी. राज्यसभा सचिवालय ने यही पाया कि 78 फीसदी सांसद हर रोज संसद में आते हैं. लेकिन ये सांसद एक नहीं बल्कि हर रोज अलग अलग होते हैं. यही हाल उन 2 फीसदी सांसदों का है जो सदन में नहीं आते. खास बात ये हैं कि सांसदों की ज्यादा उपस्थिति लंच के पहले के दो घंटो में सबसे ज्यादा होती है या फिर किसी बड़ी बहस और किसी बड़े बिल पर बहस और वोटिंग के लिए होती है. सबसे ज्यादा सांसदों की उपस्थिति राज्य सभा के 254 वें सत्र यानि पिछले मानसून सत्र में पायी गयी थी. जबकि उससे थोड़ा कम 72.88 फीसदी उसके पहले बजट सत्र में सांसदों की उपस्थिति रही. इस दौरान 29.14 फीसदी सांसदों की उपस्थिति 100 फीसदी रही जबकि 1.90 फीसदी किसी न किसी कारण से सदन में नहीं आए.