कोरोना की दूसरी प्रचंड लहर (Covid Second Wave) की शुरुआत के बाद भारत द्वारा रोका गया वैक्सीन निर्यात (Vaccine Export) फिर शुरू कर दिया गया है. इसी क्रम में बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और ईरान को दस-दस करोड़ डोज भेजे गए हैं. ये जानकारी समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट में दी गई है.
दरअसल भारत में बनी हुई वैक्सीन की मांग पड़ोसी देशों में सबसे ज्यादा है. कई एशियाई देशों ने भारत से वैक्सीन निर्यात दोबारा खोलने की अपील भी की थी. भारत ने बीते अप्रैल महीने में वैक्सीन निर्यात रोक दिया था. देश कई महीने तक महामारी की दूसरी लहर से बुरी तरह जूझता रहा. इस बीच अपने देश में वैक्सीनेशन पर जोर दिया गया.
भारत द्वारा वैक्सीन निर्यात रोकने की वजह से चीन ने इसका फायदा उठाया. ड्रैगन ने अपनी साइनोफार्म वैक्सीन की बड़ी मात्रा में सप्लाई शुरू कर दी. हालांकि चीन की वैक्सीन के एफिकेसी रेड और ट्रायल डेटा पर हमेशा सवाल खड़े होते रहे. एएनआई ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि पड़ोसी देशों में लोगों का भरोसा मेड इन इंडिया वैक्सीन पर बना रहा.
चीनी वैक्सीन को लेकर हो चुका है, मेड इन इंडिया वैक्सीन की जबरदस्त डिमांड
वहीं साइनोफार्म की कीमतों को लेकर नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका में विवाद हो चुका है. बीते कुछ महीनों के दौरान भारत ने वैक्सीन प्रोडक्शन बेहद तेजी के साथ बढ़ाया है. बीते महीने भारत द्वारा वैक्सीन निर्यात शुरू करने की खबरों का अंतरराष्ट्रीय बिरादरी ने स्वागत किया था.
‘चीनी वैक्सीन लगवाने वाले 60+ के लोग तीसरा डोज भी लगवाएं’
इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों ने भी कहा है कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए अब 60 साल से अधिक आयु के लोगों को चीन में निर्मित कोविड वैक्सीन के सिनोफार्म, सिनोवैक कोविड की तीसरी खुराक दी जानी चाहिए.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्ट्रेटेजिक एडवाइजरी ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट्स ऑन इम्यूनाइजेशन ने यह सलाह जारी की थी. हालांकि इस निर्णय को लेकर WHO की तरफ से स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है लेकिन माना जा रहा है कि ऐसी सलाह कम एफिकेसी के कारण दी गई है.