देश के कई हिस्सों में मानसून (Monsoon 2021) देरी से लौटने के बीच अब खबर है कि इस बार कड़ाके की सर्दी (Winters 2022) पड़ सकती है. आशंका जताई जा रही है कि इस बार प्रशांत महासागर में ला नीना (LA Nina) के चलते उत्तर भारत (North India) में कड़ाके की सर्दी पड़ सकती है. इस खबर ने दुनिया भर की मौसम संस्थाओं को सामान्य से भी कम तापमान की चेतावनी जारी करने के संकेत दिए हैं. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार इस साल जनवरी और फरवरी में भारत के कुछ उत्तरी राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ेगी जहां तापमान 3 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ज्यादा कड़ाके की सर्दी का मतलब है कि कई एशियाई देशों को ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ सकता है. दावा किया गया कि कड़ाके की सर्दी का असर चीन की ऊर्जा व्यवस्था पर पड़ सकता है. भारत भी एशिया के अन्य देशों की तरह ईंधन की बढ़ती कीमतों से जूझ रहा है. हालांकि अन्य देशों के उलट भारत में कम ऊर्जा खपत होती है क्योंकि एयर कंडीशन का इस्तेमाल कम हो जाता है.
भारी बारिश ला नीना का असर?
भारत में ला नीना का असर पिछले कुछ हफ्तों में हुई मौसम की घटनाओं में देखा जा सकता है. भारी बारिश और मानसून की देरी से वापसी दोनों ला नीना से जुड़ हुआ है. रविवार को हुई बर्फबारी के कारण लाहौल-स्पीति और किन्नौर जैसे हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में तापमान पहले ही शून्य से नीचे पहुंच गया है. शिमला में IMD के आंकड़ों के अनुसार, लाहौल-स्पीति में केलांग में शून्य से 5 डिग्री सेल्सियस कम तापमान के साथ उत्तरी राज्य में सर्दी जल्दी आ गई है. राज्य की राजधानी में भी पिछले 24 घंटों में न्यूनतम तापमान 6.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
1 से 21 अक्टूबर के बीच सामान्य से 41% अधिक बारिश हुई. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कहा कि देश में 1 से 21 अक्टूबर के बीच सामान्य से 41 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है, अकेले उत्तराखंड में सामान्य से पांच गुना अधिक बारिश दर्ज की गई है. जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में भी बर्फबारी हुई, जिससे भूस्खलन और प्रमुख सड़कों पर आवाजाही ठप हो गई. मौसम विभाग ने रविवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में न्यूनतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस दर्ज करने के साथ पूरे उत्तर भारत में न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की.
IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि अक्टूबर में दो कम दबाव वाले क्षेत्र बन रहे हैं. उन्होंने बताया उत्तराखंड में पश्चिमी विक्षोभ और निम्न दबाव क्षेत्र के बीच संपर्क की वजह से इस हफ्ते भारी बारिश हुई.