पिछले कुछ दिनों से पंजाब की राजनीति (Punjab Politics) ने देश भर का ध्यान खींचा है. 52 साल से राजनीती के मैदान में डटे पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) चुटकी बजाते ही अर्श से फर्श पर आ गए. तक़रीबन सभी मंत्रियों, विधायकों यहां तक कि उनके ख़ास सिपहसालारों ने भी उनसे किनारा कर लिया. कैप्टन इस तख्तापलट के पीछे बहुआयामी प्रतिभा के मालिक नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) रहे. वही सिद्धू जिन्हें कैप्टन अमरिंदर ने पंजाब की सरकार में हाशिये पर ला खड़ा किया था. हर कोई यही मान कर चल रहा था कि पंजाब में कांग्रेस का मतलब कैप्टन अमरिंदर सिंह हैं, कम से कम दहलीज पर खड़े चुनावों को देखते हुए. लेकिन सिद्धू की अगुवाई में तक़रीबन सभी कांग्रेसी मंत्री और विधायक एकजुट हुए और अपने आत्मघाती फैसलों के लिए बदनाम कांग्रेस हाईकमान ने पलक झपकते ही चुनावों से ठीक पहले अपने सेनापति को बदल डाला.
रातोंरात कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर रंधावा का नाम मुख्यमंत्री के लिए सामने आया, रंधावा के घर तमाम नेता बधाइयां देने पहुंचने लगे, लेकिन इसी बीच एक ऐसा उलटफेर हुआ जिसने पंजाब की राजनीती को एक ऐसे चक्रयव्यूह में डाल दिया, जिससे आज तक पंजाब सरकार और कांग्रेस पार्टी बाहर नहीं आ सकी. मुख्यमंत्री पद के लिए हाईकमान ने सबको चौंकाते हुए चरणजीत सिंह चन्नी के नाम का एलान कर दिया. हैरानी इस बात की भी हुई कि अभी तक जहां सिद्धू को किंगमेकर समझा जा रहा था. वहां चुपके से ये सेहरा मनप्रीत बादल के सिर पर बंधता दिखाई दिया.
अब तख्तापलट हो चुका था, समीकरण भी बदल चुके थे, लेकिन शुरू के दो दिन जब सिद्धू मुख्यमंत्री चन्नी के कंधों पर हाथ रख चन्नी भाई कहते दिखाई दिए तो बदलती परिस्थिति और ओहदे के लिहाज से ये व्यवहार कइयों के गले नहीं उतर रहा था. इसी बीच दिन-रात लोगों के साथ वक्त बिताकर चन्नी ने आम जनता में अपनी छवि को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया, लोग भी एक सीएम को आम आदमी की तरह उठते-बैठते देख प्रभावित हुए. यहां तक कि 2022 के लिए मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर चरणजीत सिंह चन्नी को प्रोजेक्ट किया जाने लगा. एक मंझे हुए राजनेता की तरह चन्नी ने भी मौका मिलते ही चौका लगाने में देर नहीं की और जनता में अपनी पैठ बनाने का कोई मौका नहीं चूके.