केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने शुक्रवार को साफ कर दिया है कि अगर लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha) सहमति बना लेती है, तो सरकार सोशल मीडिया (Social Media) के लिए ‘सख्त दिशानिर्देश’ बनाने के लिए तैयार है. इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर भी सवाल उठाए. वैष्णव ने कहा कि जब भी सरकार ने सोशल मीडिया को और जिम्मेदार बनाने के लिए कदम उठाए हैं, तो विपक्ष ने आरोप लगाए कि इससे बोलने की आजादी को छीना जा रहा है.
केंद्रीय मंत्री ने राज्यसभा को बताया कि सरकार सोशल मीडिया को जवाबदेह बनाने के लिए और भी ज्यादा कड़े नियम बनाने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा, ‘मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि नागरिकों की सुरक्षा के लिए हमें सख्त नियम बनाने चाहिए. इस समय हम संवैधानिक ढांचे के तहत काम कर रहे हैं…’
भारतीय जनता पार्टी के सुशील मोदी ने जानना चाहा कि मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों को अपमानजनक तरीके से दिखाने वाली साइट्स के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई. इसपर उन्होंने कहा कि ऑनलाइन महिलाओं के सम्मान की रक्षा करना एक मौलिक बात है और इससे कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘यह हमारी प्रतिबद्धता है. जो भी जानकारी हमारे पास आएगी, हम उसपर तत्काल कार्रवाई करेंगे.’
सरकार ने अधिकारियों के साथ की थी बैठक
31 जनवरी को सूचना और प्रसारण मंत्रालय और आईटी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने गूगल, फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर के अधिकारियों के साथ बैठक की थी. ताकि, विवादित कंटेंट को फ्लैग, डिमोट या हटाए जाने की प्रक्रिया को समझा जा सके. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सूचना और प्रसारण मंत्रालय की तरफ से बुलाई गई बैठक में शामिल हुए लोग बताते हैं कि यह एक बार की मीटिंग नहीं थी. उन्होंने बताया कि अगर ज्यादा नहीं तो कम से कम हर तिमाही में एक बार इसे आयोजित किया जाएगा, ताकि सरकार को कंटेट हटाए जाने की प्रक्रिया की जानकारी दी जा सके.
बैठक में मौजूद रहे अधिकारियों के अनुसार, मंत्रालय ने कंपनियों से पूछा कि वे कैसे फेक न्यूज, भारत-विरोधी कंटेंट, अश्लीलता, पोर्न और प्लेटफॉर्म पर मौजूद अन्य विवादित सामग्री से कैसे निपटते हैं. मंत्रालय यह भी जानना चाहता था कि इन्हें हटाने के लिए प्लेटफॉर्म क्या कर रहे हैं और कितने कंटेंट को हटाया गया. फरवरी 2021 में MeitY ने सोशल मीडिया और OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे.