चिपवाले ई-पासपोर्ट को लेकर बड़ी खबर ये है कि अगले 6 महीनों के भीतर लोगों को ई-पासपोर्ट (E passport) मिलने शुरू हो जाएंगे. सरकार इस तकनीक पर तेजी से काम कर रही है. विदेश मंत्री डॉक्टर एस. जयशंकर ने संसद के बजट सत्र में ई-पासपोर्ट को लेकर सरकार की तैयारियों को सदन के सामने रखा.
विदेश मंत्री (External affairs minister S Jaishankar) सदन को बताया कि पूरी दुनिया चिप आधारित ई-पासपोर्ट की दिशा में बढ़ रही है और भारत को भी इस दिशा में बढ़ना होगा. उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और 4.5 करोड़ चिप के लिए एलओआई जारी कर दिये गये हैं.
एस. जयशंकर ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि छह महीने के अंदर हम ई-पासपोर्ट जारी करने की प्रक्रिया शुरू करने की स्थिति में होंगे. उन्होंने चिप आधारित दस्तावेज जारी होने के बाद पासपोर्ट दिये जाने की प्रक्रिया तेज होने की संभावना के सवाल पर कहा कि प्रक्रिया नियमित होने के बाद स्वाभाविक रूप से तेज हो जाएगी.
विदेश मंत्री ने कहा कि ई-पासपोर्ट जारी करने का मकसद यात्रा को सुगम और तेज बनाना है. साथ ही यात्रियों के डेटा की सुरक्षा करना है. ई-पासपोर्ट के बारे में उन्होंने बताया कि चिप वाले पासपोर्ट में यात्री के डेटा को एक खास प्रक्रिया के द्वारा चिप में डाला जाता है और एक अलग तरह के ही प्रिंटर से छापा जाता है. यह प्रक्रिया कई चरणों में होती है.
एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने बताया कि सरकार की ओर से कुछ ई-पासपोर्ट जारी भी किए गए हैं. और उनका ट्रायल चल रहा है. सरकार ई-पासपोर्ट में डेटा की सुरक्षा को लेकर संतुष्ट होना चाहती है. हालांकि अभी तक के ट्रायल में ई-पासपोर्ट पूरी तरह से सुरक्षित पाया गया है.
उन्होंने कहा कि सरकार डेटा चोरी (स्किमिंग) होने के खतरों को लेकर बहुत सतर्क है. इसलिए कई चरणों का ट्रायल जारी है. उन्होंने बताया कि जब तक पासपोर्ट को अधिकारी के हाथ में नहीं सौंपा जाता, डेटा चोरी होने की आशंका नहीं है.
क्या है ई-पासपोर्ट
ई-पासपोर्ट सामान्य पासपोर्ट की तरह ही होता है. लेकिन इसमें एक इलेक्ट्रॉनिक चिप लगी होती है. इस चिप में यात्री की जानकारी जैसे नाम, डेट ऑफ बर्थ, पता आदि जैसे जानकारी होती है. इस पासपोर्ट के जरिए यात्रियों के लिए बेहतर सुविधाएं होगी. इससे इमीग्रेशन काउंटरों (Emigration Counter) पर यात्री की तमाम जानकारी बहुत जल्दी वेरिफाई हो जाएंगी.
ई-पासपोर्ट में स्मार्ट कार्ड वाली तकनीक है, जिसमें एक ‘रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन’ (आरएफआईडी) चिप लगी है. इस चिप में दर्ज सूचनाओं को बदला नहीं जा सकता है. अगर चिप के साथ छेड़छाड़ होगी तो ई-पासपोर्ट काम करना बंद कर देगा.
ई-पासपोर्ट में उंगलियों के निशान के अलावा आंखों को भी स्कैन किया जाएगा. ये सारी जानकारी चिप में स्टोर की जाएंगी. इससे इमिग्रेशन पर लगी मशीन को सही व्यक्ति की पहचान करने में मदद मिलेगी. ई-पासपोर्ट में इमीग्रेशन पास करने के लिए व्यक्ति का पासपोर्ट और वीजा, अधिकारी चेक नहीं करते बल्कि मशीन चेक करती है. ई-पासपोर्ट को इमीग्रेशन गेट पर स्कैन करने से गेट खुलते हैं.
इन देशों में है ई-पासपोर्ट
ई-पासपोर्ट की सुविधा सबसे पहले मलेशिया (Malaysia) में शुरू की गई थी. इसे साल 1998 में ही लॉन्च कर दिया गया था. इसके बाद अमेरिका, जापान, ब्रिटेन), जर्मनी आदि जैसे देशों ने भी अपने यात्रियों को यह सुविधा देनी शुरू कर दी थी.
भारत में भी जारी किए गए ई-पासपोर्ट
भारत ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर साल 2008 में अपने 20 हजार राजनयिकों को ई-पासपोर्ट जारी किया था. इस प्रोजेक्ट की सफलता के बाद आम नागरिकों को भी यह सुविधा सरकार देने जा रही है.
भारत में कई तरह के पासपोर्ट जारी किए जाते हैं. इनमें साधारण पासपोर्ट, आधिकारिक पासपोर्ट, राजनयिक पासपोर्ट, अस्थाई पासपोर्ट और फैमिली पासपोर्ट शामिल हैं. सामान्य लोगों के लिए नीले रंग का पासपोर्ट जारी किया जाता है.