वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत सरकार की तरफ से दी जाने वाली सब्सिडी को ‘एकआयामी’ दृष्टिकोण से नहीं देखने का विश्व बैंक से अनुरोध करते हुए कहा है कि ‘नुकसानदायक सब्सिडी’ और संवदेनशील परिवारों को दिए जाने वाले ‘लक्षित समर्थन’ में अंतर करना जरूरी है. सीतारमण ने यहां विश्व बैंक विकास समिति की बैठक में शुक्रवार को कहा कि सतत विकास लक्ष्य के कई अहम मानकों पर भारत के प्रदर्शन को बेहतर बनाने में सब्सिडी का बड़ा योगदान रहा है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा विश्व बैंक से अनुरोध है कि सब्सिडी को एकआयामी नजरिए से देखना बंद किया जाए. नुकसानदायक सब्सिडी और संवेदनशील परिवारों को लक्षित करके दिए जाने वाले समर्थन के बीच अंतर करना जरूरी है.’’
वित्त मंत्री ने विश्व बैंक को दिए कई अहम सुझाव
वित्त मंत्री ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत बीते छह वर्षों में दिए गए नि:शुल्क एलपीजी कनेक्शन का उदाहरण देते हुए कहा कि इस तरह भारत सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि भारत में भोजन पकाने की स्वच्छ प्रक्रिया तक सभी महिलाओं की पहुंच हो. इसने एसडीजी के अनेक अहम मानकों पर भारत के प्रदर्शन को बेहतर बनाने में बड़ा योगदान दिया है.
सीतारमण ने अपने संबोधन में विश्व बैंक समूह को कई सुझाव भी दिए. इनमें व्यवहार संबंधी बदलाव लाने का सुझाव भी शामिल है जिससे ऊर्जा प्रभावशीलता बढ़े और भोजन का नुकसान कम हो. इसके अलावा उन्होंने सभी ग्राहक देशों के लिए किफायती वित्त की व्यवस्था करना और नवीकरणीय एवं हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में तकनीकी हस्तांतरण करने का सुझाव भी दिया.
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वाशिंगटन में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की सालाना बैठकों में भाग लेने के लिए पहुंची हैं. इसके अलावा वे वहां कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकें कर रही हैं. केंद्रीय वित्त ने शुक्रवार को कहा कि ‘तनावपूर्ण’ और ‘अनिश्चित’ भू-राजनीतिक संकट सर्दियों में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस जैसे महत्वपूर्ण जिंसों की आपूर्ति में नयी चिंताओं को पैदा कर सकता है.