सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी नेता अश्वनी उपाध्याय की अलग-अलग तीन याचिकाओं पर केन्द्र सरकार ने जवाब दाखिल किया है. अश्वनी उपाध्याय ने याचिकाओं में मांग की थी, जिनमें उत्तराधिकारी तय करने, तलाक लेने के नियम और बच्चा गोद लेने के लिए नियम को सभी धर्मों के लिए एक जैसा बनाए जाएं. इस याचिका पर केन्द्र सरकार ने तीन अलग-अलग एफिडेविट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए हैं.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एफिडेविट पर केंद्र सरकार ने समान नागरिक संहिता बनाने की मांग करने वाली इन तीनों ही जनहित याचिकाओं का विरोध किया है.केंद्र सरकार ने कहा है कि कोर्ट संसद को कानून बनाने के लिए निर्देश नहीं दे सकती है. यह सरकार का नीतिगत निर्णय होता है.
केन्द्र सरकार ने कहा कि संविधान में दिए गए नीति निर्देशक सिद्धांत किसी भी राज्य को इस बात के लिए बाध्य करते हैं कि सभी नागरिकों को बराबर कानूनी हक मिले. संविधान का अनुच्छेद 44 भारत के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को मजबूत करने की बात कहता है और ऐसे में अलग-अलग धर्मों के पर्सनल लॉ भारत के लोग अपने अधिकारों का प्रयोग करते हैं.