भारत रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल (Crude Oil) आयात कर रहा है. ये बात लगातार अमेरिका ( United States), यूरोपीय यूनियन ( European Union) के देशों को खल रहा है. ये देश रूसी तेल पर प्राइस कैप ( Price Cap) लगाने के लिए भारत पर दवाब भी बना रहे हैं. माना जा रहा है रूस के क्रूड ऑयल पर प्राइस कैप लगाया गया तो रूस को कच्चा तेल बेचने पर जो मुनाफा हो रहा है उसमें कमी आएगी.
अमेरिका और यूरोपीय देश के प्रतिबंध के बावजूद भारत और चीन लगातार रूस से तेल आयात कर रहे हैं. जिससे प्रतिबंध का कोई असर नहीं पड़ा है. रूस से तेल जो पहले यूरोपीय देशों में जाया करता था वो भारत और चीन जैसे देश कम दामों पर आयात कर रहे हैं.
रूस भारत को कच्चे तेल बेचने वाले दूसरा सबसे बड़ा देश बन चुका है. भारत अपने खपत का 20 फीसदी कच्चा तेल रूस से आयात कर रहा है जो रूस और यूक्रेन युद्ध से पहले केवल 1 फीसदी हुआ करता था. रूस से सस्ते दामों पर कच्चे तेल मिलने का जबरदस्त फायदा देश की तेल कंपनियों को हुआ है. उन्होंने रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल खरीदने के बाद उसे रिफाइन करने के बाद पेट्रोल डीजल एक्सपोर्ट किया है. यही वजह थी कि सरकार ने इन कंपनियों पर विंडफॉल टैक्स लगाया था.
ऑयल इंडस्ट्री से जुड़े जानकारों ने भारत के हितों को ध्यान में रखते हुए कच्चे तेल के दामों पर प्राइस लिमिट नहीं लगाने का अनुरोध किया है.
रूस पहले ही कह चुका है कि प्राइस कैप प्लान में जो भी देश हिस्सा लेंगे वो उन देशों को कच्चे तेल की सप्लाई रोक देगा. ऐसे में भारत रूस को नाराज नहीं करेगा. क्योंकि प्राइस कैप लगाने से भारत को सस्ते दामों पर कच्चे तेल की सप्लाई बाधित होगी.