देश की राजधानी दिल्ली में पिछले दिनों एक ऐसी घटना हुई जिसने सभी का ध्यान खींचा. एक बुजुर्ग दंपत्ति जब रिटायरमेंट के बाद अपने ही फ्लैट में रहने के लिए आया तो उसके किरायेदार ने मकान खाली करने से इनकार कर दिया. मजबूरी में दंपति को अपने ही मकान के सामने धरने पर बैठना पड़ा. पढ़ने में तो यह एक मामला लगता है लेकिन अपने आसपास देखें तो पाएंगे कि देश में ऐसे कई विवाद सामने आ चुके हैं.
दरअसल, ऐसा अक्सर देखा जाता है कि नौकरीपेशा व्यक्ति परिवार सहित अपने मकान से दूर रहकर नौकरी कर रहा होता है और अपने मकान को किराये पर उठा देते हैं. इससे उन्हें कुछ आमदनी तो हो जाती है, लेकिन कई बार किरायेदार मुश्किलें भी खड़ी कर देता है. दिल्ली के बुजुर्ग दंपति के साथ भी हाल में कुछ ऐसा ही हुआ, जब सालों से बाहर रहकर नौकरी कर रहा व्यक्ति रिटायरमेंट के बाद अपने परिवार और सामान सहित मकान में रहने के लिए आया. दंपति का कहना है कि उन्होंने कई महीने पहले ही किरायेदार को मकान खाली करने के लिए कहा था, लेकिन फर्जी दस्तावेजों और रेंट एग्रीमेंट के बूते किरायेदार ने मकान खाली करने से इनकार कर दिया.
मुश्किलें यहीं नहीं थमीं, दंपति ने पुलिस में शिकायत की तो वहां से भी हाथ खड़े कर दिए गए और इसे सिविल का मामला बताकर कोर्ट जाने की सलाह मिली. दंपति को पता था कि कोर्ट में इस विवाद का निपटारा होने में सालों लग जाएंगे और तारीख पर तारीख सहते हुए उन्हें अपने ही मकान पर कब्जा पाने के लिए भटकना पड़ेगा.
क्या है ऐसे विवादों का हल
मोदी सरकार ने किरायेदार और मकान मालिक के बीच पैदा होने वाली ऐसी स्थितियों से दोनों को बचाने और विवाद को खत्म करने के लिए पिछले साल मॉडल टेनेंसी एक्ट लागू किया था. हालांकि, यह कानून अभी प्रयोग की स्थिति में है और राज्यों को इसे लागू करने का जिम्मा दिया गया है. राज्य चाहें तो इसमें बदलाव भी कर सकते हैं.
कैसे काम करेगा नया कानून
यह कानून लागू होता है तो सभी किरायेदारों और मकान मालिकों को लिखित किरायानामा (रेंट एग्रीमेंट) बनवाना अनिवार्य हो जाएगा. इसके तहत हर जिले में रेंट अथॉरिटी खेली जाएगी और इस एग्रीमेंट को वहां जमा कराना होगा. रजिस्ट्रेशन के बाद अथॉरिटी आपको यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर जारी करेगा. यह नियम नए और पुराने दोनों किरायेदारों पर लागू होगा. इसके तहत मकान में होने वाली छोटी-मोटी मरम्मत की जिम्मेदारी किरायेदार की होगी, जबकि मकान की पुताई का जिम्मा लैंडलॉर्ड का होगा. अगर कोई विवाद पैदा होता है तो अथॉरिटी उसका 60 दिन के भीतर निपटारा करेगा.
अगर किरायेदार ने कब्जा कर लिया तो…
नया कानून इस मामले में मकान मालिक को ज्यादा अधिकार देता है. इसके तहत अगर रेंट एग्रीमेंट पूरा होने के 6 महीने बाद भी किरायेदार ने घर नहीं छोड़ा तो उसे डिफॉल्टर माना जाएगा और हर्जाना देना पड़ेगा. हर्जाने की यह रकम दो महीने के किराये का दोगुना होगा और फिर भी मकान खाली नहीं किया तो हर्जाने की राशि किराये की चार गुना हो जाएगी.
मकान मालिक जबरन निकालना चाहे तो…
नया कानून किरायेदारों को भी कई अधिकार देता है. अगर कोई मकान मालिक एग्रीमेंट करने के बावजूद तय अवधि से पहले मकान खाली कराना चाहता है तो उसे रेंट अथॉरिटी से इसकी अनुमति लेनी होगी. साथ ही किरायेदार को पर्याप्त समय देना होगा. इसके अलावा अगर मकान मालिक जबरिया निकालने की कोशिश करता है या घर का बिजली-पानी बंद करता है तो उसके खिलाफ शिकायत की जा सकती है.