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स्कूल में मुझे बेंत से मार पड़ी, शर्म के मारे माता-पिता को नहीं बताया

सीजेआई चंद्रचूड़ बोले, शर्म के मारे माता-पिता को नहीं बताया
नई दिल्ली । भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताया कि कैसे स्कूल में टीचर उनकी पिटाई किया करते थे। उन्होंने कहा कि उन्हें अभी भी याद है कि कैसे उन्होंने अपने शिक्षक से उनके हाथ पर बेंत न मारने की विनती की थी। मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने माता-पिता को इसके बारे में नहीं बताया। वह इस घटना से काफी शर्मिंदा थे और निशान को छिपाते रहते थे। मुख्य न्यायाधीश ने काठमांडू में नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किशोर न्याय पर आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए यह बात कही है।
उन्होंने कहा, आप बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, इसका उनके मन पर जीवन भर गहरा प्रभाव रहता है। मैं स्कूल का वह दिन कभी नहीं भूलूंगा। मैं कोई किशोर अपराधी नहीं था, जब मेरे हाथों पर बेंतें मारी गई थीं। मेरा अपराध सिर्फ इतना थी कि मैंने क्राफ्टवर्क के लिए कक्षा में सही आकार की सुइयां नहीं लाई थीं। उन्होंने कहा कि मुझे अभी भी अपने शिक्षक से विनती करना याद है कि वह मेरे हाथ पर नहीं, बल्कि मेरे नितंब पर बेंत मारें।
मुख्य न्यायाधीश ने इस बात को स्वीकार किया कि इस प्रकरण ने उनके दिल और आत्मा पर एक छाप छोड़ी। उन्होंने कहा कि उन्हें वह पिटाई आज भी याद है। उन्होंने कहा, बच्चों पर उपहास की छाप काफी गहरी होती है।

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