धर्मशाला
हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक बागी नेता के निर्दलीय चुनाव लड़ने के फैसले ने भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों बीच की सीधी चुनावी जंग को अब त्रिकोणीय मुकाबले में तब्दील कर दिया है।
यह दूसरी बार है जब राकेश कुमार चौधरी ने टिकट नहीं मिलने पर अपनी पार्टी के खिलाफ जाने का फैसला लिया है। इसके पहले साल 2019 में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के बाद चौधरी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। चुनाव हारने के बाद चौधरी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये थे।
धर्मशाला सीट से भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर पार्टी में शामिल हुए सुधीर शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। जिसके बाद चौधरी भाजपा से बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है। शर्मा ने चौधरी को साल 2022 के विधानसभा चुनाव में हराया था।
धर्मशाला के चुनावी इतिहास में साल 1967 से हुए कुल 14 चुनाव में जनता पार्टी और भाजपा ने आठ बार और कांग्रेस ने छह बार चुनाव जीता है और यहां से कभी कोई निर्दलीय प्रत्याशी जनता का समर्थन हासिल नहीं कर पाया है।
कुछ महीने पहले राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करने के लिए शर्मा सहित छह बागी कांग्रेसी विधायकों के अयोग्य ठहराए जाने के बाद खाली हुई विधानसभा सीटों में सुजानपुर, गागरेट, लाहौल-स्पीति, बडसर और कुटलेहर भी हैं जहां उपचुनाव कराए जा रहे है।
इन विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन को वोट दिया था। बाद में ये सभी भाजपा में शामिल हो गये थे। धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र में 86,603 मतदाता हैं जिनमें 42,939 पुरुष और 42,702 महिलाएं हैं। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव और चार लोकसभा सीट पर चुनाव के लिए मतदान एक जून को होगा और वोटों की गिनती 4 जून को एकसाथ की जाएगी।