उत्तर प्रदेश
लोकसभा चुनाव अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। इस चरण में यूपी की 13 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होगी। इनमें से तीन घोसी, बलिया और गाजीपुर ऐसी सीटें हैं, जहां जीत के लिए भाजपा के सामने पूर्व के दो चुनावों के मुकाबले लंबी लकीर खींचने की चुनौती है। 2022 विधानसभा चुनाव में इन तीनों संसदीय क्षेत्रों की 15 विधानसभा सीटों में से सिर्फ दो सीटें ही भाजपा जीती थी। इससे पहले हुए 2019 के आमचुनाव में भी घोसी और गाजीपुर में भाजपा मात खा गई थी। यह बात दीगर है कि वर्ष 2022 में हुए चुनाव में ओम प्रकाश राजभर के सपा के पक्ष में चले जाने से भाजपा का जातीय समीकरण बिगड़ गया था। इस गलती को पार्टी ने इस लोकसभा चुनाव में सुधार कर ओम प्रकाश राज्जभर को फिर से साथ ले लिया है।
यूपी में सातवें व अंतिम चरण की सीटों में घोसी, महाराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर व राबर्ट्सगंज शामिल हैं। 2019 के चुनाव में इनमें से घोसी और गाजीपुर को छोड़ सभी सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। इस बार भी ये दोनों सीटें भाजपा के सामने चुनौती पेश करती नजर आ रही हैं, इन दोनों के अलावा बलिया भी ऐसी सीट है, जहां जीत बरकरार रखने के लिए भाजपा को तमाम समीकरणों को साधना पड़ रहा है।
घोसी, गाजीपुर और बलिया लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के सामने आ रही चुनौतियों को 2022 के विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। विधानसभा चुनाव में इन तीनों संसदीय क्षेत्रों की 15 विधानसभा सीटों में सिर्फ दो में ही भाजपा जीती थी। शेष सीटें विपक्षी दलों सपा गठबंधन और बसपा के खाते में गई थीं। गाजीपुर में एक भी विधानसभा सीट पर भाजपा को जीत नहीं मिली थी। घोसी लोकसभा क्षेत्र में शामिल पांच विधानसभा सीटों में से सिर्फ एक मधुबन में भाजपा को जीत मिली थी।
इसी तरह सलेमपुर संसदीय क्षेत्र में भी 2022 में विपक्ष का प्रदर्शन ठीक-ठाक रहा। यहां की पांच में से दो सीटें विपक्ष के खाते में गई थीं। एक सीट पर सपा और एक पर सुभासपा को जीत मिली थी। भाजपा के नजरिए से राहत की बात यह है कि 2022 में सपा गठबंधन का हिस्सा सुभासपा अब एनडीए का हिस्सा है। जिससे उपरोक्त चारों सीटों में सुभासपा के एक-एक विधायकों का बल भाजपा के साथ जुड़ा है।
सात लोस सीटों में एक भी विधानसभा में विपक्ष नहीं
वहीं इस चरण की सात सीटें ऐसी हैं, जहां पर 2022 में विपक्ष का खाता नहीं खुल सका था। ऐसी सीटों में गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, वाराणसी, मिर्जापुर और राबर्ट्सगंज की सभी सीटें भाजपा और सहयोगी दल अद (एस) और निषाद पार्टी के खाते में गई थी। वहीं चंदौली और महाराजगंज की एक-एक विधानसभा में ही विपक्ष को सफलता मिली थी।