नई दिल्ली
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के अंतर्गत नागरिकता प्रमाण पत्र देने की प्रक्रिया पश्चिम बंगाल में शुरू हो गई है। इसके तहत राज्य से प्राप्त आवेदनों के पहले समूह को बुधवार को पश्चिम बंगाल राज्य की अधिकार प्राप्त समिति द्वारा नागरिकता प्रदान की गई। पश्चिम बंगाल के अलावा हरियाणा और उत्तराखंड में भी आवेदकों के पहले समूह को आज नागरिकता प्रदान की गई।
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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि इसी प्रकार, हरियाणा और उत्तराखंड राज्यों की अधिकार प्राप्त समितियों ने भी नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 के अंतर्गत अपने-अपने राज्यों में आवेदकों के पहले समूह को आज नागरिकता प्रदान की।
इससे पहले, 15 मई 2024 को केंद्रीय गृह सचिव ने नई दिल्ली में नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 की अधिसूचना के बाद दिल्ली की अधिकार प्राप्त समिति द्वारा प्रदान किए गए नागरिकता प्रमाण पत्रों का पहला सेट आवेदकों को सौंपा था।
इससे पहले, 15 मई 2024 को केंद्रीय गृह सचिव ने नई दिल्ली में नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 की अधिसूचना के बाद दिल्ली की अधिकार प्राप्त समिति द्वारा प्रदान किए गए नागरिकता प्रमाण पत्रों का पहला सेट आवेदकों को सौंपा था।
भारत सरकार ने 11 मार्च 2024 को नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 को अधिसूचित किया था। नियमों में आवेदन करने के तरीके, आवेदनों को जिला स्तरीय समिति (डीएलसी) द्वारा जांचने की प्रक्रिया और राज्य स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (ईसी) द्वारा जांच के बाद नागरिकता प्रदान करने के तरीके निर्धारित किए गए हैं।
केंद्र सरकार के मुताबिक, नागरिकता के लिए आने वाले आवेदनों की जांच पूरी तरह से ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से की जाती है। केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए इन नियमों के अंतर्गत भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हुए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित व्यक्तियों से आवेदन प्राप्त हुए हैं। ये वे लोग हैं जो धर्म के आधार पर उत्पीड़न या ऐसे उत्पीड़न के डर से संबंधित देशों से भागकर भारत आ गए हैं।
धर्म के आधार पर उत्पीड़ित और भारत की नागरिकता के लिए आवेदन करने वाले इन लोगों ने 31 दिसंबर 2014 तक भारत में प्रवेश कर लिया था।
भारत सरकार ने 11 मार्च 2024 को नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 को अधिसूचित किया था। नियमों में आवेदन करने के तरीके, आवेदनों को जिला स्तरीय समिति (डीएलसी) द्वारा जांचने की प्रक्रिया और राज्य स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (ईसी) द्वारा जांच के बाद नागरिकता प्रदान करने के तरीके निर्धारित किए गए हैं।
जब ममता ने कहा था सीएए लागू नहीं होने दूंगी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अप्रैल महीने में अपने एक बयान में कहा था, ‘समान नागरिक संहिता स्वीकार्य नहीं है। मैं सभी धर्मों में सद्भाव चाहती हूं। आपकी सुरक्षा चाहती हूं।’ तब ईद के मौके पर एक सभा को संबोधित करते हुए सीएम ममता ने कहा था कि वह यूसीसी, एनआरसी और सीएए को लागू नहीं होने देंगी।