मुंबई
महाराष्ट्र सरकार ने 19 मई के पोर्श कार हादसे के आरोपी नाबालिग का खून का नमूना बदलने वाले पुणे के ससून जेनरल हॉस्पिटल के दो डॉक्टरों को बुधवार को निलंबित कर दिया। हादसे में पोर्श कार से कुचलकर दो लोगों की जान चली गई थी। एक अधिकारी ने बताया कि अस्पताल से डीन डॉ. विनायक काले को ‘जबरन अवकाश’ पर भेज दिया गया है और उनका कार्यभार दूसरे सीनियर डॉक्टर को दे दिया गया है।
चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशालय (डीएमईआर) ने बुधवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी की। इसके अनुसार डॉ. अजय तावड़े और डॉ. शिशिर हलनोर को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। इससे पहले डॉ. पल्लवी सापले के नेतृत्व में तीन सदस्यीय समिति ने दो दिन तक इस बात की जांच की कि किन परिस्थितियों में खून के नमूने बदले गये थे।
दोनों डॉक्टर 31 मई तक पुलिस की हिरासत में हैं। अब तक हुई जांच में पता चला है कि दोनों डॉक्टरों ने नाबालिग के खून के नमूने को डस्टबिन में फेंक दिया था और उसकी जगह किसी और का खून का नमूना लेकर उसके आधार पर अपनी रिपोर्ट दी थी। हालांकि पुणे पुलिस ने आरोपी का एक और खून का नमूना लिया था जिसे जांच के लिए दूसरे अस्पताल भेजा गया था। रिपोर्ट में अंतर आने पर मामले का खुलासा हुआ।
सरकार ने समिति का किया गठन
वहीं, सरकार ने किशोर न्याय बोर्ड के सदस्यों के आचरण की जांच करने के लिए एक समिति गठित की है। फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डा अजय तावड़े और ससून अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डा श्रीहरि हल्नोर को निलंबित करने का आदेश महाराष्ट्र चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त द्वारा दी गई सिफारिश पर दिया गया था।
इस आधार पर डॉक्टरों को किया गया निलंबित
चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा कि राज्य सरकार को आरोपों की जांच के लिए नियुक्त तीन सदस्यीय समिति से एक रिपोर्ट मिली है। समिति की रिपोर्ट के आधार पर दोनों डॉक्टरों को निलंबित किया गया है। डॉ चंद्रकांत म्हास्के पुणे जिले के बारामती स्थित पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी सरकारी मेडिकल कॉलेज के मौजूदा डीन हैं।
हादसे में दो लोगों की हुई थी मौत
गौरतलब है कि 19 मई की सुबह पुणे के कल्याणी नगर इलाके में 17 वर्षीय किशोर ने तेज रफ्तार पोर्श कार से मोटरसाइकिल सवार दो आइटी इंजीनियर को टक्कर मार दी थी। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई थी। पुलिस का कहना है कार चला रहा किशोर बिल्डर विशाल अग्रवाल का बेटा है, जो कि कार चलाते वक्त नशे में था। किशोर उस वक्त नशे में था या नहीं इसके लिए उसके ब्लड सैंपल एकत्र कर जांच के लिए भेजे गए।
क्या है ब्लड सैंपल से जुड़ा मामला?
पुलिस ने दावा किया कि पुणे के ससून अस्पताल में किशोर के ब्लड सैंपल को फेंक कर और उसकी जगह किसी अन्य व्यक्ति के सैंपल रखे गए थे। इन सैंपलों में शराब का कोई निशान नहीं था। इसके लिए महाराष्ट्र चिकित्सा शिक्षा विभाग ने ग्रांट्स मेडिकल कालेज की डीन डा पल्लवी सापले की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था।
किशोर न्याय बोर्ड के सदस्यों के आचरण की होगी जांच: नारनवरे
राज्य महिला एवं बाल विकास विभाग के आयुक्त प्रशांत नारनवरे ने कहा कि हमने एक समिति गठित की है जो राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किशोर न्याय बोर्ड के सदस्यों के आचरण की जांच करेगी और यह देखेगी कि कार दुर्घटना मामले में आदेश जारी करते हुए नियमों का पूरी तरह पालन किया गया या नहीं। नारनवरे ने कहा कि मेरे पास राज्य सरकार द्वारा नियुक्त सदस्यों के आचरण की जांच करने के लिए किशोर न्याय अधिनियम के तहत शक्तियां हैं।
दुर्घटना के समय कार में विधायक का बेटा भी था: पटोले
वहीं, कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने दावा किया कि एक विधायक के बेटे समेत कुछ हाई प्रोफाइल लोगों ने पब में शराब पी और पोर्श कार में सवार थे। पटोले ने सवाल किया कि वह मंत्री कौन है,जिसने थाने में फोन किया और वह विधायक कौन है, जिसका बेटा कार में मौजूद था? उन्होंने इस घटना पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से बयान की मांग की। पुणे पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि अभी तक घटना में विधायक सुनील टिंगरे का कोई संबंध सामने नहीं आया है, जिससे उनकी जांच हो।