धार.
मध्य प्रदेश के धार जिले में ऐतिहासिक भोजशाला (Bhojshala ASI Survey) में सर्वे का काम जारी है. सर्वे का 69वां दिन था. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और हैदराबाद से आई जियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने प्रवेश द्वार के पास ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) मशीन से सर्वेक्षण किया. परिसर के उत्तरी भाग में भी एक जगह पर खुदाई की गई. इस दौरान जमीन से खास बनावट के स्तंभों के तीन अवशेष मिले हैं. तीनों टुकड़ों पर विशेष आकृति बनी हुई है.
मिली जानकारी के अनुसार, टीम ने सुबह 8 बजे भोजशाला में प्रवेश किया. टीम ने जीपीआर मशीन से 50 मीटर के दायरे में सर्वे किया. सर्वे की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराई जा रही है. वहीं जियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने चार दिनों के भीतर किए गए GPR सर्वे की रिपोर्ट तैयार कर ली है, हालांकि फाइनल रिपोर्ट लैब में ही तैयार की जाएगी. इसमें अभी कुछ और दिनों का समय लग सकता है. इस मुख्य रिपोर्ट के आधार पर ही ASI की टीम भोजशाला में नए स्थानों पर खुदाई करने का फैसला लेगी.
भोजशाला में अब तक क्या-क्या मिला?
हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा ने कहा कि बुधवार को भोजशाला के भीतरी और बाहरी परिसर में काम किया गया. उत्तरी भाग में मिट्टी हटाने का काम किया गया. गर्भगृह समेत अन्य मुख्य स्थानों की फोटोग्राफी की गई. अब तक खुदाई में 1500 छोटे-बड़े अवशेष मिले, हिंदू देवी-देवताओं के चिह्न, बारीक नक्काशी वाले पत्थर, दो पिलर बेस, तीन फीट लंबी तलवार और कुछ सिक्के मिले हैं.
भोजशाला में 27 जून तक चलेगा सर्वे
गौरतलब है कि इसी साल 11 मार्च को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ASI को भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के निर्देश दिए थे. यह सर्वे 27 जून तक चलेगा. दरअसल ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ ने करीब 1000 साल पुराने भोजशाला परिसर की वैज्ञानिक जांच, सर्वेक्षण, खुदाई अथवा ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार सर्वेक्षण की मांग की थी. हिंदू संगठनों ने न्यायालय में कहा था कि भोजशाला में सरस्वती माता का मंदिर है. अपने इस दावे को मजबूत करने के लिए हिंदू पक्ष ने हाईकोर्ट के सामने भोजशाला की रंगीन तस्वीरें भी पेश की थीं. भोजशाला केंद्र सरकार के अधीन ASI का संरक्षित स्मारक है. एएसआई के 7 अप्रैल 2003 के आदेश के अनुसार चली आ रही व्यवस्था के तहत हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार को भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है. मुस्लिम समुदाय भोजशाला परिसर को कमाल मौला की मस्जिद बताता आ रहा है.