कुपवाड़ा
जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में सेना के 16 अफसरों और जवानों के खिलाफ हत्या के प्रयास और डकैती का मामला दर्ज किया गया है। यह केस जिन सैन्य अफसरों के खिलाफ दर्ज हुआ है, उनमें तीन लेफ्टिनेंट कर्नल भी शामिल हैं। मंगलवार की देर रात कुपवाड़ा पुलिस थाने में हमला बोलने के आरोप में सैनिकों के खिलाफ यह केस दर्ज हुआ है। आरोप है कि टेरिटोरियम आर्मी के एक जवान से पुलिस ने पूछताछ की थी। इससे सेना के लोग भड़क गए और उन्होंने पुलिस थाने पर ही अटैक कर दिया। पुलिस का कहना है कि कथित ड्रग्स केस के आरोप में जवान से पूछताछ हो रही थी।
इसका एक वीडियो भी जारी किया गया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सेना के जवान हमले के दौरान वर्दी में थे और हथियारों से लैस थे। उनके साथ कई सीनियर अधिकारी भी थे। टेरिटोरियल आर्मी भारतीय सेना की ही एक विंग है, जिसे रिजर्व फोर्स के तौर पर रखा जाता है। इसमें पार्ट टाइम वॉलंटियर भी शामिल होते हैं, जो सेना को ऑपरेशंस के दौरान मदद करते हैं। पुलिस में दर्ज एफआईआर के मुताबिक लेफ्टिनेंट कर्नल अंकित सूद, राजीव चौहान और निखिल के नेतृत्व में सेना के जवाब पुलिस थाने में घुस आए।
इन लोगों ने वहां मौजूद पुलिसकर्मियों पर हमला करना शुरू कर दिया। अपनी राइफलों से उनकी पिटाई की। इसके अलावा बिना किसी बहस के ही उन्हें लाठी और डंडों से भी जमकर पीटा। आरोप है कि पिटाई के बाद सेना के लोगों ने थाने में मौजूद पुलिस वालों के मोबाइल फोन रख लिए। इसके अलावा एक पुलिसकर्मी को अगवा भी कर लिया। इसके बाद जब वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सूचना मिली तो वे हरकत में आए और कार्रवाई शुरू की गई। पुलिस ने सेना के लोगों के खिलाफ सेक्शन 186, 307 और 332 समेत 5 मामलों में केस दर्ज किया है।
पुलिस ने जवानों के खिलाफ आर्म्स ऐक्ट के तहत भी केस दर्ज किया है। इस मामले की जांच कुपवाड़ा के डीएसपी कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस मामले की विस्तृत जांच होगी और दोषियों को सजा मिलेगी। इस मामले में सेना का भी बयान आ गया है। श्रीनगर स्थित सेना के प्रवक्ता ने कहा कि यह मामला इतना बड़ा नहीं है। उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों को पीटे जाने की खबरें गलत और भ्रामक हैं। उन्होंने कहा कि एक ऑपरेशन मैटर में पुलिस वालों और टेरिटोरियल आर्मी के बीच मामूली मतभेद था, जिसे दूर कर लिया गया है।