नई दिल्ली
सरकार की तरफ से शुक्रवार को जारी वित्त वर्ष 2023-24 और जनवरी-मार्च (2024) तिमाही के आर्थिक आंकड़े मौजूदा आम चुनाव के प्रचार में पीएम नरेन्द्र मोदी की तरफ से अर्थव्यवस्था की नींव को मजबूत करने के दावे की तसदीक करते हैं। पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर 8.2 फीसदी रही है जो इसके पिछले वित्त वर्ष में दर्ज सात फीसद की दर से ज्यादा है और साथ ही सारे अर्थविदों व आर्थिक एजेंसियों के अनुमान से भी ज्यादा है। आज पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च, 2024) के आंकड़े भी जारी किये गये हैं जिसमें आर्थिक विकास दर के 7.8 फीसद रहने की बात सामने आई है। यह पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में दर्ज 6.2 फीसद और चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर, 2023) में दर्ज 8.6 फीसद से कम है लेकिन आर्थिक एजेंसियों के अनुमान से ज्यादा है।
IMF, वर्ल्ड बैंक के अनुमान से ज्यादा ग्रोथ
आरबीआई ने एक दिन पहले ही कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था एक दशक तक तेज विकास दर हासिल करने के लिए तैयार है। सांख्यिकीय व कार्यक्रम क्रिन्यावयन मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़े इसी तरफ इशारा करते हैं। विकास दर के आंकड़े आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक सरीखी एजेंसियों के अनुमान से भी ज्यादा है। इन्हें फिर से भारतीय इकोनॉमी के लिए अपने अनुमानों में संशोधन करना होगा।
ये आंकड़े बताते हैं कि वास्तविक सकल घरेलू उत्पादन (रीयल जीडीपी) का आकार वर्ष 173.82 लाख करोड़ रुपये का रहा है जबकि वर्ष 2022-23 में यह 160.71 लाख करोड़ रुपये का था। इस आधार पर 8.2 फीसद की विकास दर हासिल होने की बात कही गई है। जबकि चालू मूल्य पर आधारित जीडीपी (नॉमिनल) का आकार 296.50 लाख करोड़ रुपये का आंका गया है और इसमें 9.6 फीसद की विकास दर हासिल की गई है। नॉमिनल जीडीपी के आकलन में वस्तुओं व सेवाओं की मौजूदा कीमतों और महंगाई, ब्याज दरों में बदलाव आदि जैसे मुद्दों को समाहित करते हुए किया जाता है। इस आधार पर जीडीपी की विकास दर वर्ष 2022-23 में 14.2 फीसद रही थी। आम तौर पर रीयल जीडीपी ग्रोथ रेट का ही इस्तेमाल किया जाता है।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर बना ग्रोथ का की-फैक्टर
अर्थव्यवस्था के लिए यह शुभ संकेत है कि 8.2 फीसद की विकास दर को हासिल करने में सबसे अहम योगदान मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र का है। इसकी वृद्धि दर 9.9 फीसद रही है जो इसके पिछले वित्त वर्ष 2.2 फीसद की गिरावट हुई थी। मैन्युफैक्चरिंग से ही ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा होते हैं। खनन क्षेत्र ने भी 7.1 फीसद का बड़ा योगदान दिया है। कंस्ट्रक्शन में भी 9.9 फीसद की ग्रोथ रही है। इस दौरान कृषि क्षेत्र की विकास दर 4.7 फीसद से घट कर 1.4 फीसद रह गई है। जो सरकार के लिए ¨चता की बात हो सकती है। सभी सेवा सेक्टरों की ग्रोथ रेट भी वर्ष 2022-23 के मुकाबले कम हुई है।
सरकार की तरफ से पिछले दस वर्षों के दौरान आर्थिक विकास दर के जो आंकड़े दिए गए हैं उसके मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 (3.9 फीसद) और वर्ष 2020-21 (कोरोना साल में 5.8 फीसद की गिरावट) के अलावा अन्य वर्षों में 6.5 फीसद या इससे ज्यादा की ही विकास दर रही है। 2020-21 में 9.7 फीसद और बाद के दो वर्षों में 7 व 8.2 फीसद की रफ्तार रही है। भारत लगातार दो वर्षों तक दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज गति से आर्थिक विकास हासिल करने वाला देश बन गया है। देशी और विदेशी एजेंसियों के अनुमान को देखें को वर्ष 2024-25 में भी यह जारी रहेगा। चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च, 2024) में विकास दर की गति धीमी हुई है। आरबीआइ का आकलन है कि मौजूदा तिमाही (अप्रैल-जून, 2024) में आर्थिक विकास दर 7.1 फीसद रहेगी।